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मंत्रालय के घमंडी अधिकारियों का एनसीयुआई पर दबाव

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट और निराशाजनक आर्थिक संकेतकों से भारत के सहकारी आंदोलन को क्षति हुई है। सरकार के साथ एक लंबा और कठिन सौदा भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयुआई) ने कुछ फंड पाने के लिए किया था, लेकिन यह इसे चिंता मुक्त बनाने के लिए पर्याप्त साबित नहीं हुआ।

मंत्रालय ने एनसीयुआई को भेजे पत्र में जोर देकर कहा कि सबसे बड़े सहकारी संगठन को खुद संसाधन जुटाना चाहिए। मंत्रालय ने एनसीयुआई को अपने पैरों पर खड़े होने और स्वयं के लिए फंड को उत्पन्न करने का उपदेश दिया है।

भारतीय सहकारिता डॉट कॉम से बात करते हुए एनसीयुआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दिनेश ने कहा, कि “मैं जल्द ही  आइ सी एम एस से मिलने हैदराबाद जा रहा हूँ और उनसे मिलकर हम फंड पैदा करने की संभावनाओं पर विचार करेंगे।”

डॉ. दिनेश ने बताया कि उन क्षेत्रों में जहां आइ सी एम एस स्थित है और वह क्षेत्र जहाँ हमारी कई परियोजनाएँ चल रही हैं उन सभी जगहों का दौरा किया जाएगा। ऐसा यह देखने के लिए किया जाएगा कि कैसे हम आत्मनिर्भर हो सकते है।

भारतीय सहकारिता डॉट कॉम ने एनसीयुआई के अध्यक्ष डॉ. चन्द्र पाल सिंह यादव से सम्पर्क किया तो उन्होंने कहा कि हम एनसीयुआई के लिए सरकारी सहायता प्राप्त करने के लिए केंद्रीय मंत्री शरद पवार के साथ शुक्रवार को एक बैठक कर रहे हैं।

सरकार हमसे कॉर्पस फंड का उपयोग करने को कहती है। हमने आईआरएमए ग्रामीण प्रबंधन के प्रतिष्ठित संस्था द्वारा किए गए एक अध्ययन से यह निष्कर्ष निकाला है कि हमें इस स्तर पर  कॉर्पस  फंड का उपयोग नहीं करना चाहिए।

कुछ साल पहले सरकार और एनसीयुआई दोनों के योगदान से 100 करोड़ रुपये का समग्र फंड बनाया गया था। अब यह राशि 330 करोड़ रुपये हो गई है। आईआरएमए के अध्ययन से पता चला है कि अगर यह समग्र फंड अधिकतम 500 करोड़ रुपये हो जाता है तो इस फंड का उपयोग करना सुरक्षित होगा, चन्द्र पाल ने कहा।

“हमने सरकार से अनुरोध किया है कि यदि वह हमारा समर्थन  करती है तो समग्र फंड को 500 करोड़ रुपये किया जा सकता है। 500 करोड़ रुपये के इस जादुई आंकड़े के लिए हमें 150 करोड़ रुपये के अनुदान की आवश्यकता है उसके बाद हम सरकार को कभी परेशान नहीं करेंगे”, अध्यक्ष ने कहा।

कृषि मंत्रालय ने फंड रिलीज पर अपने पत्र में कहा है कि एनसीयुआई को एनसीसीटी पूरी तरह से समर्थन करता  है।

मंत्रालय ने अपने खजाने से केवल 50 प्रतिशत फील्ड परियोजनाओं पर व्यय करने की बात स्वीकार की है।

सरकार ने एनसीयुआई को निर्देश दिया है कि वह शेष राशि को आंशिक रूप से समग्र निधि से और आंशिक रूप से अपने ही संसाधनों से उत्पन्न कर सकता है।

जो राशि हम फील्ड परियोजनाओ में काम कर रहे लोगों को देते है वह इतनी कम है कि लोगों को प्रेरित किए रखना हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है, डॉ. दिनेश ने कहा।

इससे पहले एनसीयुआई के अध्यक्ष ने प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों को छोड़कर फंड जारी करने के लिए मंत्रालय की पूर्व शर्त को पूरा किया।

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