श्रम सहकारी समितियों के राष्ट्रीय फेडरेशन के लिए कोई फंड नही है इसके कर्मचारी कई महीनों से अपने वेतन के बिना कार्य कर रहे हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश की एक द लेबर एण्ड कंस्ट्रक्शन कोऑपरेशन फेडरेशन (एलएसीसीएफईडी) कुछ ही समय में करोड़ो की कंपनी बन गई है।
द लेबर एण्ड कंस्ट्रक्शन कोऑपरेशन फेडरेशन (एलएसीसीएफईडी) के करोड़ों रुपये के घोटाले में शामिल होने की जांच पुलिस कर रही है।
फेडरेशन के पदाधिकारियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं और कई परियोजनाओं में करोड़ों रुपए के घोटाले की जांच पुलिस द्वारा की जा रही है। सभी शिकायतों की अवधि तब की है जब मायावती सत्ता में थी।
नेशनल फेडरेशन ऑफ लेबर एंड कंस्ट्रक्शन कॉपरेटिव के प्रबंध निदेशक श्री आर एम पांडे ने भारतीय सहकारिता से बात करते हुए कहा कि हालांकि एलएसीसीएफईडी हमारा सदस्य है, पर हमारा व्यापार सौदों को लेकर उनके साथ कोई संबंध नही है।
फेडरेशन के कार्यालय किसी राजनीतिक पार्टी के परिसर से चल रहा था या एजेंसी अधिकारियों ने इस उद्देश्य के लिए जाली कागजात का उपयोग किया इस पर पुलिस की जांच मुख्य रूप से केंद्रित है।
प्रारंभ में, फेडरेशन एक मामूली इकाई थी लेकिन बसपा सरकार ने बाद में इसको बड़ी परियोजनाओं के लिए जिम्मेदार बना दिया ताकि सैकड़ों करोड़ों की रकम संघ खर्च करे। फेडरेशन में हुए इस अचानक परिवर्तन से संदेह पैदा होता है, पुलिस का कहना है।
हालांकि फेडरेशन के पूर्व जीएम को हाल ही में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन जल्द ही जमानत पर छोड़ दिया गया, कुछ अभियुक्त अभी भी गिरफ्तारी से बच रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि कुछ राजनीतिक दिग्गज भी इस घोटाले में शामिल हैं और पुलिस इस दिशा में भी जांच कर रही हैं।
हालांकि बसपा ने इस घोटाले में अपने पर लगाए आरोप पर उग्र क्रोध व्यक्त किया है।