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संविधान संशोधन: एनसीयुआई की आँखे खुली

भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयुआई) का एक दल और मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने गुरुवार को संविधान संशोधन विधेयक को लोकप्रिय बनाने और अन्य मुद्दों पर बातचीत के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार से मुलाकात की। सहकारिता को मौलिक अधिकारों की सूची में शामिल करना भी बातचीत का एक अहम मुद्दा था।

भारतीय सहकारिता से बात करते हुए एनसीयुआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि,”हमने शरद पवार जी से मुलाकात की और ऐतिहासिक संशोधन के कार्यान्वयन के लिए होने वाले राष्ट्रीय सेमिनार के अवसर पर उनकी उपस्थिति की मांग की। उन्होने हमारे निमंत्रण को स्वीकार करके काफी दरियादिली दिखाई।”

सेमिनार को नई दिल्ली में 12 अक्टूबर को आयोजित किया जाएगा और राज्यों से प्रतिभागियों को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है।

“हमने राज्यों के सहकारी मंत्रियों, राज्यों के सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, सहकारी निकायों के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक को आमंत्रित किया हैं। यह आयोजन राज्य के कानूनों में आवश्यक परिवर्तन और उस सहकारी संशोधन अधिनियम, 2009 के प्रावधानों को राज्यों में जल्दी लागू करने पर विचार करने के लिए आयोजित किया गया हैं”, डॉ. दिनेश ने कहा।

संविधान (111th) विधेयक, 2009 ने अधिकार दिया है कि चुनाव आयोग की तर्ज पर एक विशेष एजेंसी की स्थापना  की जाय  जो  सहकारी समितियों के चुनाव का संचालन कर सके।

यदि बिल को ईमानदारी से लागू किया जाता है तो व्यावसायिकता और लोकतंत्रीकरण के इस युग में सहकारी आंदोलन और अधिक मजबूत होगा। लेकिन राज्य सरकारें इस ऐतिहासिक बिल का छह महीने पहले पारित होने के बाद में भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है।

बिल के महत्वपूर्ण प्रावधानों में शामिल है (1) सहकारी समितियों का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, (2) सहकारिता एजेंसियों के चुनावों की देखरेख करना, (3) सहकारी बोर्ड के निदेशकों के कार्यकाल में एकरूपता और (4) विनियमन और सदस्य नियंत्रण लोकतांत्रिक सिद्धांतों के आधार पर सहकारी समितियों के समापन, सदस्य आर्थिक भागीदारी और स्वायत्त कामकाज।

उल्लेखनीय है कि कई राज्यों जैसे तमिलनाडु और महाराष्ट्र की सहकारी समितियों में चुनाव सालों से आयोजित नहीं किए गए है। इसके अलावा उत्तरप्रदेश और ओडिशा के कई मामलों में नए राजनीतिक शासन में निर्वाचित बोर्ड उनकी अवसरवादिता के  शिकार हुए है।

कॉपरेटरर्स ने राज्यों द्वारा संशोधन विधेयक के कार्यान्वयन की देखरेख के लिए एनसीयुआई से टास्क फोर्स के गठन की मांग की है। एनसीयुआई अब अपनी जिम्मेदारी के प्रति सचेत है!

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