उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने साफ शब्दों में कहा है कि गन्ना सहकारी समिति महत्वपूर्ण हैं और उनके विचारों को ध्यान में रखते हुए राज्य में मिलों के लिहाज से क्षेत्र तय किए जाते है।
सहकारी समितियों का मुख्य काम किसानों के हितों को बढ़ावा देना है और सदस्य किसानों से आपूर्ति सुनिश्चित करना है लेकिन अहस्तक्षेप की नीति को चलाना गलत होगा।
किसानों के हितों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए श्री यादव ने कहा कि गन्ना क्षेत्र के निजीकरण से किसानों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि अब चीनी मिलों पर कोई नियंत्रण नही रह जाएगा।
चीनी मिलें अपनी स्वतंत्रता को नकारात्मक तरीके से उपयोग कर सकते हैं जिससे उनकी खरीद चयनात्मक हो सकती है, उन्होंने आगाह किया है।
राजधानी में प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष श्री रंगराजन के साथ अपनी बैठक के बाद श्री यादव अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
गन्ना क्षेत्र में हस्तक्षेप नही होने से भीषण मूल्य प्रतियोगिता होगी और चीनी मिलें अपनी पेराई क्षमता का अनुचित लाभ उठा सकती है, श्री यादव ने कहा।
चीनी में विदेश व्यापार के बारे में बात करते हुए श्री यादव ने कहा कि उत्तर भारत की मिलों के लिए जो कि समुद्र के बंदरगाहों से काफी दूर हैं को विशेष सुविधाएँ दी जानी चाहिए।