हाल ही में उर्वरकों की कीमतों में बहुत ज्यादा बढ़ोत्तरी हो गई है और सरकार इसको लेकर काफी चिंतित है। केंद्रीय उर्वरक राज्य मंत्री ने अपने मंत्रालय को पता लगाने के लिए निर्देश दिया है कि उर्वरक उत्पादन कंपनियों द्वारा किसानों को कैसे सब्सिडी दी जा रही हैं।
मंत्री ने अपने मंत्रालय के सचिव से कहा है कि मामले की अच्छी तरह से जाँच करें और उर्वरक कंपनियों से प्रत्येक माह उपयोगिता प्रमाण-पत्र की मांग करके यह पता लगाए कि वे सब्सिडी के साथ क्या करती है।
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि मंत्री ने अपने नोट में उल्लेख किया है कि यदि उर्वरक पर सब्सिडी दी जाती है तो यह उर्वरकों की खुदरा लागत में मनचाहे ढंग से वृद्धि नहीं कर सकते है।
उर्वरक की खुदरा कीमतें बहुत जोर से वृद्धि कर रही है, जिससे सब्सिडी देने का उद्देश्य ही फेल कर गया है। खुदरा कीमतों के विनियंत्रण का मतलब यह नहीं है कि उर्वरक कंपनियाँ गरीब किसानों की कीमत पर अपने लाभ को अधिकतम कर सकते हैं। कंपनियों को अपने लालच पर लगाम लगाना चाहिए, मंत्री ने अपने नोट में कहा।
यह उल्लेखनीय है कि उर्वरकों की कीमतों में निरंतर वृद्धि की पृष्ठभुमि में ही सचिवों की एक समिति ने हाल ही में मुलाकात की थी और हर संभव कोण से एनबीएस नीति पर विचार किया।
सूत्रों का कहना है कि भारत उर्वरकों का सबसे अधिक आयात करता है और इसलिए उर्वरक कंपनियों के लिए इस बाजार में बेचना एक बड़ा सौदा हो जाता है।