रसायन और उर्वरक पर स्थायी संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में उर्वरक की कालाबाजारी और देश में जमाखोरों और भ्रष्ट व्यवसायियों द्वारा उर्वरक की कृत्रिम कमी उत्पन्न करने पर क्रोध व्यक्त किया है।
रिपोर्ट का दावा है कि इस भ्रष्ट कारोबार में केंद्रीय सरकार और उर्वरक कंपनियाँ दोनों शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जमाखोरी ऐलानियाँ तौर पर की जा रही है, लेकिन इसको रोकने की कोई कोशिश नही की जा रही है। उर्वरक विभाग पूरी तरह से उन्हें रोकने में नाकाम रहा है।
असल में उर्वरकों की जमाखोरी और जांच की जिम्मेदारी केन्द्रीय सरकार की है। कालाबाजारी और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के खिलाफ उससे कठोर कदम उठाने चाहिए, रिपोर्ट में कहा गया है।
संसदीय समिति ने उर्वरक कंपनियों से कहा है कि उन्हें बुराई की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने में सरकार की मदद करना चाहिए। उर्वरक के उत्पादन की दो कंपनियाँ इफको और कृभको सहकारी क्षेत्र से हैं, इफको घरेलू मांग की 25 प्रतिशत की आपूर्ति अकेले ही करता है।
पैनल ने उर्वरक विभाग से स्वीकार्य दरों पर गैस उपलब्ध कराने को कहा है।
इसके अलावा, पैनल ने सरकार से देश में नई निवेश नीति के तहत उर्वरक उत्पादन की गति को बढ़ाने को कहा है।