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सहकारी नेता और विदेशी यात्रा

कर्नाटक में विभिन्न पार्टियों के विधायकों के एक समूह को घर लौटने के लिए कहा गया है, कहा जाता है कि उन्हे दक्षिण अमेरिका “अध्ययन दौरे” के लिए भेजा गया था, लेकिन  वे अपने  परिवार के साथ मौज मस्ती करते पाए गए।

यह घटना अब आम बात हो चली है। भारतीय सहकारी नेताओं के  तथाकथित “विदेशों में अध्ययन दौरे” के जरिए सहकारी आंदोलन को आगे बढ़ाने की बात की जाती है।

बिना किसी अपवाद के सभी सहकारी संगठनों के एक या दो सदस्य इस संगोष्ठी में भाग लेते है। भारतीय सहकारिता के पास साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि तथाकथित सेमिनारों के बाद ये लोग मौज मस्ती मे मगन हो जाते है।

सरकारी खजाने की कीमत पर विधायकों के दौरा करने पर कर्नाटक की जनता में गुस्सा है। वहीं सहकारी नेता  गरीब किसानों के पैसे पर मौज मस्ती करते है लेकिन उनको किसी का डर नही है।

भारतीय सहकारिता के पास अपना कुछ खास अनुभव है जिसमें एक  देश के  शीर्ष सहकारी संगठन ने कुछ भारतीय सहकारी नेताओं के बारे में सहकारी पोर्टल से जानकारी मांगी थी। यो लोग उस देश की यात्रा के लिए आवेदन किया था।

कई विदेशी सहकारी संगठन  जानना चाहते है कि आवेदन में जो नाम है वह वास्तविक सहकारी नेता है या नहीं।

विदेशी दौरे के लिए  सहकारी क्षेत्र काफी आसान है, जहाँ तक भारत सरकार का संबंध है आईएएस अधिकारियों सहित मंत्रीस्तरीय बाबुओं को मंजूरी लेनी पड़ती है लेकिन यह सहकारी नेताओं पर लागू नही होता है, वे कही भी जाने का खुद फैसला कर सकते हैं। उन्हें  किसी से भी  विदेश यात्रा पर जाने के लिए किसी मंजूरी की जरुरत नही होती है।

अधिकांश सहकारी संगठन भारत सरकार के समर्थन पर जीते हैं, लेकिन सरकारी नियंत्रण उनकी विदेशी यात्राओं के मामलों में बिल्कुल नही होता है।

कभी भी इन नेताओं से पूछा नही जाता कि उन्होने वहाँ क्या सीखा है, उनके सहकारी संगठन को उनके द्वारा किए गए विदेशी दौरे से किस प्रकार के लाभ हुए है।  सावधान, भारतीय सहकारिता की नजर हमेशा ऐसे लोगों पर है।

 

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