भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ एवं राष्ट्रीय प्रशिक्षण परिषद ने संयुक्त रुप से 14 सितंबर 2012 को हिन्दी दिवस समारोह आयोजित किया। इस समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के भारतीय भाषा केन्द्र मे सहआचार्य के पद पर कार्यरत डॉ. देवेन्द्र चौबे ने भाग लिया।
उन्होने कहा कि आज के युग में हिन्दी ने ज्ञान-विज्ञान की भाषा के रुप में सारे संसार में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। आज समूचा विश्व हिन्दी सीख रहा है और बोल रहा है। विशेषकर भारत के पड़ोसी देश जापान, कोरिया, चीन के लोगों में हिन्दी को लेकर बढ़ी हुई रुचि इस बात का द्योतक है कि हिन्दी को अब संयुक्त राष्ट्र की भाषा के रुप में अपनाया जा सकता है।
उन्होने यह भी कहा कि किसी भी समाज को भाषा के जरिए ही जोड़ा जा सकता है। जो भाषा आपके भावों-विचारों को सम्प्रेषित करे उसी भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए। हिन्दी ही एकमात्र ऐसी भाषा है जिसे सबसे अधिक एवं सरल तरीके से बोला और समझा जाता है। उन्होने अफसोस जताया कि आज हिन्दी मुख्य भाषा कि जगह वैकल्पिक भाषा बन कर रह गई है। हमें इसे मुख्य भाषा का दर्जा दिलाने के लिए एकजुट होकर प्रयास करना होंगे।
एनसीयुआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दिनेश ने अपने स्वागत भाषण में हिन्दी की महत्ता को बताया। भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के अध्यक्ष डॉ. चंद्रपाल ने कहा कि भारत में हिन्दी को वांछित सम्मान नही मिल पा रहा है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। आधे से ज्यादा भारत गाँव में रहता है, और वह हिन्दी को भलीभाँति समझ सकते है। हिन्दी ही उनके सम्प्रेषण की सशक्त भाषा है। वैसे भी किसी भी राष्ट्र की अस्मिता की पहचान उसकी भाषा होती है। अतः जितना विकास उसकी भाषा का होता है उतनी ही तेजी से उस देश का भी विकास होता है। अतः हमें देश की एकता, अखण्डता को मजबूती प्रदान करने के लिए हिन्दी का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही हमें अंग्रेजी सहित अन्य भाषाओं का ज्ञान भी होना चाहिए तथा उनका आवश्यकतानुसार प्रयोग करना चाहिए। उन्होने आह्वान किया कि हमें हिन्दी को मान सम्मान दिलाने के लिए वर्षभर प्रयासरत रहने की प्रतिज्ञा करनी होगी क्योंकि जब इच्छा ढृढ़ संकल्प का रुप लेती है तो सफलता निश्चित हो जाती है।
समारोह में दोनो संस्थाओं के अधिकारियों ने उनकी संस्थाओं में हुई हिन्दी प्रगति और उपलब्धियों का संक्षिप्त ब्यौरा प्रस्तुत किया। समारोह के अंत एनसीयुआई के निदेशक श्री गुलाब सिंह आजाद ने उपस्थित अतिथियों और श्रोताओं का आभार प्रकट किया।