इफको के प्रबंध निदेशक यू. एस. अवस्थी ने कहा है कि उनकी कंपनी ने उर्वरक को दक्षिण एशिया के देशों में निर्यात करने का फैसला किया है। वैसे पहले से ही नेपाल के लिए डीएपी की 15 हजार से अधिक टन को बेच दिया गया है।
उर्वरक निर्यात की नकारात्मक सूची में है, जिसके कारण भारत सरकार से मध्य पूर्व ओमान में फसल पोषक तत्वों को बेचने के लिए अनुमति की मांग की गई है।
उर्वरकों के लिए घरेलू मांग में कमजोर मानसून के कारण भारी कमी की वजह से इफको अपने उत्पादों का निर्यात करने पर आमादा है। कंपनी के पास डीएपी और एनपीके का एक विशाल भंडार है और यह लगता है कि वह बड़े पैमाने पर निर्यात कर सकती है।
अवस्थी के मुताबिक ओमान ने हमेशा यूरिया की आपूर्ति के साथ भारत की मदद की है, भारत को अब ओमान की जरूरत को पूरा करना चाहिए।
अवस्थी ने दावा किया कि डीएपी और एनपीके के लिए घरेलू मांग 29 और 27 प्रतिशत क्रमशः से गिरने से उर्वरक उद्योग को संकट का सामना करना पड़ रहा है। अकेले इफको को डीएपी की बिक्री में 32 प्रतिशत और एनपीके बिक्री में 44 प्रतिशत की चौंका देने वाली गिरावट का सामना करना पड़ा है, उन्होंने कहा।