राष्ट्रीय सहकारी कृषि बैंकों का महासंघ (राष्ट्रीय सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक महासंघ) मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के समर्थन में आ गया है। उनका तर्क है कि इस कदम से किसानों को बेहतर रिटर्न पाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा वे आसानी से बैंक के ऋण का भुगतान करने में सक्षम हो सकेंगे।
विदेशी खुदरा विक्रेता किसानों के कृषि उत्पादों के साथ सीधे संपर्क में रहेंगे, इससे किसानों की आमदनी में बढ़ोत्तरी होगी और बिचौलियों की भूमिका स्वत: खत्म हो जाएगी। यह राष्ट्रीय सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास
बैंक महासंघ के प्रबंध निदेशक श्री रवींद्रन ने चंडीगढ़ में प्रेस से बात करते हुए कहा।
संघ के अनुसार, जब किसानों की बेहतर आय होगी तो उनमें ऋण का भुगतान करने की क्षमता में वृद्धि होगी।
सूत्रों का कहना है कि राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक 19 राज्यों में पूरी तरह से सक्रिय हैं। बैंकों का विभिन्न रूप में 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक पैसे लगे हुए है और उनका एनपीए बीस प्रतिशत है, सूत्रों का दावा है।
चंडीगढ़ में बैंकों के सम्मेलन ने वाणिज्यिक बैंकों के रूप में कार्य करने की अनुमति केन्द्रीय सरकार से माँगा है। यह भी कहा है कि अगर भारतीय रिजर्व बैंक बैंकों को इस रूप में काम करने की अनुमति दे देती है तो
देश में बैंकिंग सेवाओं की कमी खत्म हो जाएगी।