दिल्ली के एनसीयुआई में असंतोष प्रतिनिधियों की आवाज के बीच राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) ने बुधवार को वार्षिक आम बैठक का आयोजन किया। प्रतिनिधि वार्षिक आम बैठक के माध्यम से एजेंडे को पारित करने से पहले उस पर चर्चा करना चाहते थे।
जब बिजेन्द्र सिंह ने स्थिति पर नियंत्रण करने की कोशिश की तो महाराष्ट्र और गुजरात के प्रतिनिधि और अधिक मुखर हो गए। वे जो चाहते थे उस पर प्रबंध समिति ने अंत में सहमति व्यक्त की।
भारतीय सहकारिता से बात करते हुए एनसीसीएफ के अध्यक्ष विजेन्द्र सिंह ने कहा कि “यह पूरी तरह से सामान्य था और लोकतंत्र में हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है। यह हमारे आंदोलन की ताकत है।”
प्रतिनिधि ने शिकायत की थी कि एनसीसीएफ व्यापार उत्पन्न करने में सक्षम नही है। उन्होंने वाहनों की मरम्मत पर 27 लाख रुपए की भारी खर्च के मामले को उठाया।
अध्यक्ष ने उनके सुझावों को स्वीकार किया और कहा कि सरकारी मदद में कमी आई है। नेफेड को 8000-10,000 करोड़ रुपये का हर साल व्यापार हो जाता है, इफको और कृभको को भी अपने सदस्यों के साथ साझा करने के लिए सब्सिडी मिलती है। एनसीसीएफ को न तो वित्तीय सहायता मिलती है और न ही सरकार से नीतिगत समर्थन मिलता है, उन्होंने कहा।
एनसीसीएफ ने इस साल 3 करोड़ रुपये का एक लाभ अर्जित किया और इसे कर्मचारियों के बीच साझा करने का फैसला किया है। हम स्टाफ को भुगतान करते हैं, अगर हम उन्हें छठें वेतन आयोग के तर्ज पर वेतन नहीं दे सकते तो हमने उन्हें कम से कम ग्रेड वेतन की पेशकश करने का फैसला किया है, श्री सिंह ने साझा किया।
लाभ के 7 करोड़ रुपये से 3 करोड़ रुपये होने पर वीरेन्द्र सिंह ने कर्मचारियों की कमी को दोषी ठहराया है। लोग सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जबकि नई भर्ती पिछले साल की तुलना में आधी होने से हमारी ताकत में कमी आई है, उन्होंने बताया।
चन्द्र पाल सिंह की अनुपस्थिति ने भी सबका ध्यानाकर्षण किया।