विशेष

नाबार्ड के रवैया बदलने से सहकारी बैंक निराश

नाबार्ड की नीतियों में हाल में हुए बदलाव से भारत के सहकारी क्षेत्र में निराशा है। कृषि और किसानों के लिए ऋण और अन्य विविध लाभ में कमी देखी जा रही है।

नाबार्ड के नीतियों के बदलाव करने पर बिना समय बर्बाद किए नेफकार्ड ने खींचाई शुरू कर दी है और उससे खेती की जरूरतों के लिए चौकस होने के महत्व पर बल दिया है।

सहकारी निकायों को लगता है कि अब मुश्किल समय आने जा रहा हैं। उदाहरण के लिए राज्य स्तरीय सहकारी बैंक सार्वजनिक जमा नहीं ले रहे हैं और वे  नाबार्ड  से अब 97 प्रतिशत के मुकाबले 90 प्रतिशत पर ही रिफायनेंस ले सकते हैं।

नाबार्ड ने रिफायनेंस के लिए ऋण डिबेंचरों में निवेश के बजाय नई प्रणाली शुरू की है। यह अफ़सोस की बात है कि इस मामले में सहकारी निकायों से कोई राय-मशवरा नही किया गया है।

नाबार्ड लेखा परीक्षकों के एक पैनल के लिए चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा एक अलग लेखापरीक्षा पर जोर देने की बात की हैं, एक जानकार स्रोत ने कहा।

सूत्रों का कहना है कि नाबार्ड ग्राहक संस्थानों के साथ कई समितियों की सिफारिशों के बावजूद जोखिम साझा करने के विचार करने से इनकार कर दिया है।

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close