योजना आयोग का अनुमान है कि देश के कृषि क्षेत्र में अगले पांच वर्षों में कम से कम 8 लाख करोड़ रुपये के कृषि ऋण की जरूरत है जिससे कृषि क्षेत्र में 4 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि हासिल की जा सकेगी।
आयोग के अनुसार छोटे किसानों के लिए ऋण के पारंपरिक स्रोत सहकारी ऋण संरचना ने खराब प्रदर्शन किया गया है।
योजना आयोग का कहना है सहकारी ऋण संरचनाओं की वित्तीय हालत में सुधार नही हो पा रहा है, लघु अवधि सहकारी ऋण संरचना (एसटीसीसीएस) की तर्ज पर, लंबी अवधि के सहकारी ऋण संरचना (एलटीसीसीएस) के लिए पुनरुद्धार पैकेज के कार्यान्वयन पर शीघ्र निर्णय लेने की आवश्यकता है।
प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) जैसे संस्थानों के लिए अनुशासित रिफायनेंस पर विचार करने की जरूरत है, इन्हें स्वतंत्र संस्थाओं के रुप में अगर वे सदस्य संचालित हैं।
आयोग कहता हैं कि पैक्स का अभी भी व्यापक कवरेज है और वाणिज्यिक बैंकों के माध्यम से वित्तीय विकास करने के लिए पैक्स को और गहरा मजबूत और चौड़ा किया जाना चाहिए। विशेष रूप से ऐसे मामलों में जहां एसटीसीसीएस का उच्चतर स्तर कमजोर है और वे ऐसी स्थिति में नहीं हैं की वे पैसे मुहैया कर सकें।