हाल ही में जारी की गई अधिसूचना में भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि शहरी सहकारी बैंकों द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव की “अगर बैंक का निवल मूल्य सकारात्मक नहीं होता है तो जमा की इक्विटी में रूपांतरण” पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
इसे रिजर्व बैंक बैंकों की समस्याओं से निपटने के लिए एक युक्ति के रूप में देख रहा है।
पहले यह आवश्यक था कि परिवर्तित जमा के अनुपात में बैंक की निवल मूल्य सकारात्मक होना चाहिए।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार शहरी सहकारी बैंकों के वित्तीय पुनर्गठन के लिए कुछ मानदंडों को छोटे जमाकर्ताओं के हितों की पूरी सुरक्षा के अनुरूप करने की आवश्यकता हैं, जमा की इक्विटी या आईपीडीआई में जमाकर्ताओं की सहमति पर रूपांतरण और शेयरों के गैरप्रतिदान से बैंक जब तक की बैंक का 9 फीसदी के जोखिम भारित एसेट्स अनुपात (सीआरएआर) को प्राप्त नही होता है।
पुनर्गठन के बाद बैंक का प्रबंधन बोर्ड व्यक्तिगत जमाकर्ताओं और पेशेवर बैंकरों के प्रतिनिधियों को शामिल करने के लिए एनपीए की वसूली सहित पुनर्निर्माण योजना का कार्यान्वयन भी सुनिश्चित प्रशासकों के हाथों में आ जाएगा।
इसके अलावा बैंकों को पुनर्गठन देनदारियों पर सीआरआर/एसएलआर को बनाए रखना पड़ता है।