सहकारी समितियों के प्रति सरकार के रवैये को लेकर इफको के प्रबंध निदेशक यू.एस.अवस्थी ने जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा कि द्वितीय पंचवर्षीय योजना में इसकी शुरूआत के बाद से सरकारों ने सहकारी समितियों को नजरअंदाज किया है।
उन्होंने याद दिलाया कि चार अन्य स्तंभ की तरह सहकारिता भी एक मजबूत स्तंभ है जिस पर राष्ट्रीयता टिकी है। उन्होंने राष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर “भारत में सहकारी समितियों के विकास” शीर्षक पर बोल रहे थे। सम्मेलन दिल्ली में गुरुवार को इफको फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया था।
श्री अवस्थी ने सरकार के सौतेला व्यवहार का उदाहरण देते हुए कहा कि कॉरपोरेट्स आसानी से विदेशों में निवेश कर सकते हैं, जबकि सहकारी समितियों के विषय में ऐसा नहीं है। भारतीय कानून सहकारी समितियों को ऐसा करने की अनुमति नहीं देता, उन्होंने कहा। इसके अलावा सहकारी समितियों को खुदरा व्यापार करने की भी अनुमति नहीं है। उन्होने कहा कि सरकार की इस मानसिकता को बदलना सहकारी नेताओं का कर्तव्य है, उन्होंने कहा।
लेकिन अवस्थी का गुस्सा सरकार के अलावा सहकारी समितियों को लेकर भी था। “यदि हमें लगता है कि हम बढ़िया कर रहे हैं, तो ऐसा नहीं है। उन्होंने पूछा कि जब हम एक दूसरे का सम्मान करने में सक्षम नहीं हैं, तो बाहर के लोगों से हम सम्मान की उम्मीद कैसे कर सकते है।”
उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) द्वारा निभाई जा रही भूमिका की आलोचना की। इन्हे और अधिक सक्रिय और इस क्षेत्र की समस्याओं को सरकार के सामने और अधिक प्रभावी ढंग से उठाने की जरुरत है। “बही खाता का समय चला गया है और हमें अपने काम में आईटी समाधान पर भरोसा करने की जरूरत है। लेकिन सहकारिता की नकारात्मक छवि मानने वालों को सहकारिता के महत्व बताना चाहिए, उन्होंने कहा।
बैठक में केन्द्रीय रजिस्ट्रार आर.के. तिवारी, पूर्व केंद्रीय उप मंत्री डी पी यादव थे और पूर्व केंद्रीय मंत्री एस प्रभु ने सभा की अध्यक्षता की। विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागी इस अवसर पर उपस्थित थे। आर.के. तिवारी का कहना था कि सहकारिता की वार्षिक आम बैठक में बहुत कम प्रतिनिधि दिखाई देते है, ऐसे में वास्तविक लोकतांत्रिक उद्यम की तुलना में कृत्रिमता की बू अधिक आती है।
सुरेश प्रभु ने सभी सहकार्मियों में सहयोग की अवधारणा के प्रति भावनात्मक लगाव होने की जरूरत पर बल दिया। इसके साथ व्यावसायिकता का सम्मिश्रण सफलता की कुंजी है, उन्होंने कहा।
डीपी यादव, जो कि अतीत में इफको के अध्यक्ष रह चुके है वर्गीज कुरियन के बारे में बताया। उन्होंने कुरियन के सफलता और उनकी नौकरशाही से जुड़ी कहानियों को बताया। उन्होंने यू.एस.अवस्थी को इफको की सफलता पर बधाई दी। एमडी के उग्र भाषण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सहकारी आंदोलन की आत्मा अवस्थी के माध्यम से बोल रही है।