हाल ही में दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक बड़े धूमधाम के साथ एनसीयुआई सभागार में आयोजित किया गया था। सूत्रों के अनुसार बैंक पर कई गलत हरकतों में लिप्त होने का आरोप लगाया गया है।
बैंक पर आरोप है कि बैंक आम लोगों को अपनी सदस्यता नही दे रहा है, वह केवल उन लोगों को अपनी सदस्यता दे रहा है जो रिश्वत दे और शीर्ष प्रबंधन के अत्यंत करीबी हो।
भारतीय सहकारिता डॉट को पता चला है कि ऋण केवल चयनित लोगों को ही दिया जाता है और उस के बाद प्रबंधन एक भारी भरकम रकम लेता है। एक प्रॉपर्टी डीलर जिसको 2.83 करोड़ रुपये का ऋण मिला है एक बकाएदार है। बैंक उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नही कर रहा है, सूत्रों का कहना है।
बैंक के शीर्ष प्रबंधन को सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार से नोटिस मिल चुका है। उन्होंने जांच शुरू की, लेकिन निहीत स्वार्थों के चलते जांच विफल रही। एक डिप्टी रजिस्ट्रार का बैंक के वर्तमान प्रबंधन के साथ सांठगांठ है।
एक उच्च पदस्थ स्रोत ने इस घटिया सौदों में वर्तमान अध्यक्ष जय भगवान, राजेंद्र गुप्ता और भूदत्त शर्मा की संलिप्तता का आरोप लगाया है।
भारतीय सहकारिता डॉट कॉम से बात करते हुए सचिव दिनेश ने कहा कि केवल 126 सदस्यों ने एजीएम में भाग लिया जबकि बैंक में 55,000 से अधिक सदस्य है। उन्होंने 62 कर्मचारियों के प्रमोशन और 40 लोगों की नियुक्ति के मामले में धूर्तता का आरोप लगाया।
भारतीय सहकारिता डॉट कॉम ने संबंधित विषय में बैंक के अध्यक्ष जय भगवान से बात करने के लिए कई बार कॉल किया लेकिन उन्होंने कॉल नहीं उठाया। उपाध्यक्ष एम.के. बंसल ने इस विषय पर कहा कि प्रापर्टी डीलर को दिया गया 2.83 करोड़ रुपये का ऋण एनपीए में बदल दिया गया है और कार्रवाई की पहल की जा रही हैं यह कहते हुए उन्होंने आरोपों को खारिज कर दिया।