भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने स्वतंत्रता के समय में सबको आगे आने और राष्ट्र निर्माण के चुनौतीपूर्ण कार्य में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था। सहकारी आन्दोलन उनका स्वाभाविक विकल्प था, डॉ. एच आर भारद्वाज ने 25वां जवाहरलाल नेहरू स्मारक इफको व्याख्यान में एनसीयूआई आडिटोरियम, नई दिल्ली में कहा।
इफको आशा और विश्वास को प्रेरित करती रही है। जब तक इफको जैसे संगठन और आप जैसे लोग (दर्शक) मौजूद हैं, तब तक भारत कभी भटक नहीं सकता है, डॉ. भारद्वाज ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा। इफको के प्रबंध निदेशक श्री यू एस अवस्थी के लिए व्यक्तिगत तौर पर भारद्वाज ने कहा कि अवस्थी जी की उपलब्धियाँ अतिविशिष्ट हैं।
भारद्वाज ने कहा कि नेहरू की तुलना रूजवेल्ट या चर्चिल या लेनिन के साथ करने का प्रयास व्यर्थ है। नेहरू एक महान मानवतावादी और गांधी स्कूल के एक उत्पाद थे। नेहरू ने भ्रष्टाचार के लिए शून्य सहिष्णुता को दिखाते हुए अपने करीबी दोस्त टीटी कृष्णमचारी को पद से हटा दिया था।
पूर्व कानून मंत्री और कर्नाटक और केरल के राज्यपाल श्री भारद्वाज ने वैदिक छंद पढ़ कर वैदिक काल से चले आ रहे सहकारी आंदोलन की जड़ की व्याख्या करने की कोशिश की। डॉ0 हंसराज भारद्वाज ने भारत से भूख के उन्मूलन में इफको के प्रयासों की सराहना की और कहा कि, “इफको उसी रास्ते पर आगे बढ़ रही है जहाँ सहकारिता और कृषि विकास के बीच एक ऐसा समन्वय स्थापित किया जा रहा है जो भूख और गरीबी को मिटाने के लिए अति आवश्यक है।
इफको को भारत की सहकारी समितियों का गौरव करार देते हुए उन्होंने कहा कि इफको ने विभिन्न क्षेत्रों यथा उत्पादन, परिवहन, बिक्री और ऊर्जा की खपत के क्षेत्र में शानदार कार्यनिष्पादन किया है। उन्होंने कहा कि इफको न केवल उत्तम दर्जे के उर्वरकों का उत्पादन करती है बल्कि सामुदायिक विकास में भी सहायता करती है और भारत के गरीब और सीमान्त किसानों की दशा में सुधार लाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने इफको के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इफको ग्रामीण गरीबों के जीवन स्तर में समग्र सुधार लाने के लिए कृषि विकास की दिशा में प्रयास कर रही है।
इस अवसर पर भारत में सहकारिता आन्दोलन के प्रचार-प्रसार के लिए व्यक्तिगत तौर पर शानदार प्रयासों के लिए ‘इफको सहकारिता रत्न’ और ‘इफको सहकारिता बन्धु’ दो पुरस्कार भी प्रदान किये गये। अरुणाचल प्रदेश की सहकारी कार्यकर्ता एवं समाज सुधारक श्रीमती बिन्नी यांगा को ‘इफको सहकारिता रत्न’ और हिमाचल प्रदेश के शिक्षाविद और सहकारी कार्यकर्ता श्री सीताराम चौहान को ‘इफको सहकारिता बन्धु’ पुरस्कार के लिए चुना गया ।
इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. यू एस अवस्थी ने कहा कि इफको ने भारतीय किसानों के लिए न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया भर में प्रतिष्ठा प्राप्त की है, यह सामूहिक शक्ति का एक उदाहरण है।”
इस अवसर पर एनसीयुआई सभागार दर्शकों से भरा हुआ था। इफको के अध्यक्ष, संयुक्त प्रबंध निदेशक, इफको-टोकियो अध्यक्ष और नेफेड अध्यक्ष भारद्वाज, अवस्थी और दोनों सहकारिता पुरस्कार विजेताओं के साथ मंच साझा किया।
इफको-टोकियो के अध्यक्ष श्री देवेगौड़ा ने आभार प्रकट किया।