मनरेगा ने कुछ हद तक युवाओं की बेरोजगारी को दूर करने की दिशा में योगदान दिया है, लेकिन ग्रामीण युवाओं की बेरोजगारी की समस्या के लिए एक व्यापक समाधान श्रम सहकारी के माध्यम से ही संभव है, राज्य के कृषि मंत्री तारिक अनवर ने भारत के राष्ट्रीय श्रम सहकारी फेडरेशन (एनएलसीएफ) के द्वारा शनिवार को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में कहा।
समारोह का उद्घाटन राज्य के कृषि मंत्री तारिक अनवर ने किया, समारोह में केरल से लेकर कश्मीर तक के श्रम सहकारी समितियों के सदस्यों ने भाग लिया।
मंत्री ने हर संभव मदद देने का आश्वासन देते हुए कहा कि सरकार और सहकारिता का उद्देश्य एक सा है गरीब और असंगठित श्रम को संगठित करना। श्री अनवर ने कहा कि केवल उन्हें संगठित करना ही काफी नही है बल्कि उन्हें व्यवस्थित कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर उनकी कमाई को बढ़ाई जा सकती है। लेकिन उन्होंने सहकारिता को अपने दम पर आर्थिक रूप से व्यवहार्य होने की जरूरत पर जोर दिया।
एक सहकारी संस्था और एक गैर सरकारी संगठन के बीच यही अंतर है कि सहकारी समितियाँ चेरिटी संगठन नहीं हैं और जब तक कि वे खुद के लिए नहीं कमाती तब तक वे लंबे समय के लिए जीवित नहीं रह सकते, केन्द्रीय रजिस्ट्रार आर.के. तिवारी ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा।
तिवारी ने कहा कि सहकारी संस्था मुख्य रूप से एक आर्थिक इकाई है और इसके जरिए किसानों को आसान ऋण उपलब्ध कराने की कल्पना की गई थी। कुछ साल पहले ऐसे ऋण संवितरण में इसका हिस्सा 50 प्रतिशत से अधिक था लेकिन हाल के दिनों में यह 17 प्रतिशत नीचे आ गया है। इससे परंपरागत सहकारी आंदोलन के महत्व में कमी आई है, केन्द्रीय रजिस्ट्रार ने कहा।
सम्मेलन में महिलाओं की बड़ी उपस्थिति पर एमडी आरएन पांडे और अध्यक्ष संजीव कुशालकर को बधाई देते श्री तिवारी ने कहा कि युवाओं और महिलाओं की भागीदारी सहकारी आंदोलन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
यह अवसर श्रम सहकारी संस्था निर्देशिका और क्षेत्र पर आधारित कई पुस्तिकाएँ रिलीज करना भी उल्लेखनीय था। कुछ प्राथमिक श्रम सहकारी संस्थाएँ जो निचले स्तर पर काम कर रही है उन्हें उनके असाधारण प्रदर्शन के लिए पुरस्कार दिए गए। पुरस्कार पाने वालों की सूची में कोझीकोड से युएलसीसीएस, मट्टेवाल सहकारी श्रम एवं निर्माण सोसायटी अमृतसर, मोज़िद सहकारी एल एंड सी सोसाइटी करनाल, भिल्लोवसल कच्छ सहकारी श्रम एवं निर्माण सोसायटी अमृतसर, बाला जी सहकारी एल एंड सी सोसायटी गुड़गांव, महात्मा फुले श्रम सहकारी समिति धुले, पूजा श्रम सहकारी सोसायटी धुले, शयक्का सहकारी श्रम एवं निर्माण सोसायटी न्यू शिमला, श्री गुरुदेव जंगल कामगार सहकारी संस्था गढ़चिरौली और कुँवर भीमसेन आदिवासी जंगल कामगार सहकारी संस्था वर्धा शामिल थे।
एनएलसीएफ के उपाध्यक्ष के. लिंगइआह ने धन्यवाद व्यक्त किया। मंत्री और केंद्रीय रजिस्ट्रार से श्रम सहकारी समितियों को सरकार के कंसट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट पुरस्कार स्वरुप देने का अनुरोध किया गया।