सुनील सिंह और रामइकबाल सिंह विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में आए थे, लेकिन सहयोजित निदेशक के रूप में लौटे। नव-नियुक्त बिस्कोमॉन के अध्यक्ष सुनील सिंह के लिए गुरुवार का दिन भाग्यशाली साबित हुआ जब भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयुआई) ने उन्हें गवर्निंग काउंसिल का स्थायी सदस्य बना दिया।
“मेरे पास चन्द्र पाल भैय्या का आभार व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं जिन्होंने मुझे यह सम्मान दिया है”, एक भावुक होकर भारतीय सहकारिता से श्री सिंह ने कहा। दिलचस्प है, एनसीयुआई की गवर्निंग काउंसिल के दो निदेशकों ने हाल ही में बिस्कोमॉन चुनाव बिहार में चुनाव लड़ा था।
रामइकबाल सिंह के नेतृत्व वाली नेकॉफ जो कि एनसीयुआई से संबद्ध होने पर गवर्निंग काउंसिल ने मोहर लगा दी है। नेकॉफ एक कृषि सहकारी संस्था है जो भविष्य में नेफेड और एनसीसीएफ की जगह लेने की महत्वाकांक्षा रखता है। एनसीसीएफ के पूर्व अध्यक्ष रामइकबाल सिंह को बेहद अनुभवी सहकार्मी कहा जाता है।
एनसीयुआई की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में अन्य कई मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। सदस्यों ने एनसीयुआई सभागार में विक्रेता द्वारा
गैर भुगतान के मुद्दे पर काफी विचार-विमर्श किया। भारतीय सहकारिता से बात करते हुए जीसी के एक सदस्य मुदित वर्मा ने कहा कि बिजली और पानी के लिए एक करोड़ रुपए की राशि अभी भी विक्रेता द्वारा भुगतान किया जाना है।
जीसी अमीन एनसीयुआई के उपाध्यक्ष ने इस मुद्दे को खारिज करते हुए कहा कि यह खातों का मुद्दा है जिस पर संबंधित विभाग में विचार-विमर्श करना ज्यादा अच्छा होगा। गुरुवार को गवर्निंग काउंसिल ने मुद्दों को सुलझाने के लिए एक समिति का गठन किया जिसमें जीसी अमीन के अलावा मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दिनेश और मुदित वर्मा भी शामिल थे। विक्रेता अनुबंध खत्म होने के मुद्दे के लिए हमें एक सप्ताह के भीतर निर्णय लेना होगा, मुदित वर्मा ने भारतीय सहकारिता को बताया।
गवर्निंग काउंसिल बैठक के दौरान भर्ती और सेवा नियमों के अन्य मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया, पाठकों को याद होगा कि कृषि मंत्रालय ने व्याख्याता घोटाले के मद्देनजर एनसीयुआई पर शिकंजा कस दिया था। इस मामले पर जीसी ने एक समिति गठित करने का फैसला किया। समिति में सदस्यों की भर्ती की सिफारिशों पर निर्णय अगले गवर्निंग काउंसिल की बैठक में लिया जाएगा।