भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयुआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दिनेश ने बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्री से बजट से पूर्व सहकारी समितियों को लेकर विचार-विमर्श करने के लिए मुलाकात की।
आईटी के अनुभाग 40 पी अधिनियम को हटाने का मतलब टैक्स से छूट की बहाली है जिसका लाभ सहकारी समितियों ने 2006 तक उठाया। बातचीत में यह हमारे एजेंडे में प्रमुख था, डॉ. दिनेश भारतीय सहकारिता डॉट कॉम को बताया।
मंत्री ने डॉ. दिनेश को धैर्यपूर्वक सुना। डॉ. दिनेश ने कहा कि माननीय मंत्री ने तर्क पर ध्यान दिया और सौभाग्य से मैं तदनुसार तैयार था। मुलाकात संक्षिप्त लेकिन उपयोगी रही, डॉ. दिनेश ने कहा।
वह सहकारी क्षेत्र से एकमात्र प्रतिनिधि थे। नेफेड के अध्यक्ष बिजेन्दर सिंह को भी सहकारी समितियों पर अपने विचार रखने के लिए आमंत्रित किया गया था लेकिन वे नही भाग ले सके।
आयकर हर सहकारी समारोह में सुर्खियों में रहा है, डॉ. दिनेश ने श्रम सहकारी समितियों के लिए जनता बीमा योजना के विस्तार के मामले पर भी विचार-विमर्श किया। यह योजना वर्तमान में मछुआरों के लिए फिशक़ॉपफेड चला रही है।
एक सच्चे प्रतिनिधि की भूमिका निभा रहे डॉ. दिनेश ने मंत्री से कहा कि कॉर्पोरेट की तुलना में विदेशी देशों से लाभांश पर टैक्स के मामूलों में सहकारिता के साथ अच्छा व्यवहार नही किया जाता है। इस मामले में इफको को लेकर उन्होंने कहा कि विदेशी देशों से लाभांश पर 30% टैक्स का भुगतान करते हैं, जबकि वही कॉर्पोरेट के मामले में 15-20% है।
डॉ. दिनेश आवास सहकारी कर कटौती की सीमा की मांग की है जो कि वर्तमान में 50000 रुपये है जिसे 10 लाख रुपये तक किए जाने की जरुरत है।
उन्होंने नेफेड और दूसरी कृषि विपणन सहकारी समितियों को पुनर्जीवित करने की जरूरत पर बल दिया।
कई 20 अलग-अलग फार्म समूहों और संस्थानों से विशेषज्ञों ने बजट से पूर्व इस बैठक में भाग लिया।