हाल ही में चीनी उद्योग पर सरकार द्वारा अपनी पकड़ को ढीला करने के लिए कुछ कदम उठाए गए है।
सरकार द्वारा नियुक्त रंगराजन समिति ने चीनी क्षेत्र में ढील की सिफारिश की है।
रंगराजन समिति विनियमित रिलीज प्रणाली और लेवी चीनी दायित्व को तत्काल हटाने के लिए कहा है।
विश्लेषकों का कहना है कि चीनी उद्योगों ने तेजी से विकास किया है और अगर उद्योग हस्तक्षेप से मुक्त हुआ तो इसमें संभावनाएँ असीमित होगी।
चीनी उद्योगों अपने कुल उत्पादन का 10 प्रतिशत की आपूर्ति पीडीएस को करता है जो 3 हजार करोड़ रुपये प्रति वर्ष है। यह 80 हजार करोड़ रुपये का उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
चीनी क्षेत्र के विनियंत्रण एक मुद्दा है जिसके बारे में सरकार में हमेशा हिचकिचाहट रही है हालांकि हाल के घटनाक्रम से आशावाद प्रोत्साहित होता दिख रहा है।