ऐसा लगता है कि कुछ राजनीतिक दलों ने सहकारी आंदोलन पर नियंत्रण कर लिया है जिसके कारण महाराष्ट्र में सहकारी आंदोलन बुरी हालत में है।
विपक्षी दल भाजपा, पीडब्ल्यूपी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना सरकार को राज्य में सहकारिता आंदोलन की बदहाली के लिए सार्वजनिक रूप से निन्दा की है।
राज्य सरकार खस्ताहाल सहकारी क्षेत्र को सुधारने की दिशा में काम शुरू करने के लिए तैयार नही लगती है।
राज्य सरकार ने सत्ताधारी नेताओं के चीनी सहकारी समितियों और अन्य सहकारिता निकायों को 17320 करोड़ रुपये की एक बहुत बड़ी राशि दे दी है।
यहां तक कि उन सहकारी समितियों को भी रियायतें और सभी प्रकार के लाभ के साथ मदद की जा रही हैं जिसने ऋण के भुगतान नही करते रहे है।
विपक्षी दलों ने सहकारी क्षेत्र में आवश्यक सुधार को तत्काल लागू करने के लिए कहा और कहा कि सरकारी पार्टी के नेता अपने व्यक्तिगत संवर्धन के लिए सहकारी क्षेत्र का उपयोग कर रह है।