यूरिया पर एक नई निवेश नीति पर सौमित्र चौधरी की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति का गठन किया गया और इसे मंत्रियों के समूह ने सिफारिशों का अनुमोदित किया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी सिफारिशों को काफी अच्छा माना और उन्हें हरी झंडी दिखा दी है।
नई नीति के मुताबिक दोनों कंपनियों को सब्सिडी प्रदान की जाएगी, जो घरेलू गैस के साथ यूरिया का उत्पादन करती है और वो कंपनियाँ जो आयातित गैस के साथ उत्पादन करती है।
इसके अतिरिक्त, वो कंपनियाँ जिन्होने नए संयंत्रों की स्थापना की है, उन्हें यूरिया के उत्पादन में 12 से 20 प्रतिशत कर रियायत मिल जाएगी।
वह कंपनियाँ जो मौजूदा यूरिया उत्पादन सुविधाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण में निवेश करेंगे उनको भी कर में लाभ मिलेगा।
सरकार की नई नीति के परिणाम से यूरिया उत्पादन के निवेश में तेज इजाफा की उम्मीद है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले दिनों में उर्वरक क्षेत्र में कम से कम 35 हजार करोड़ रुपये की कुल राशि का निवेश होने की उम्मीद है।
देश में हर साल 3.2 करोड़ टन यूरिया की जरूरत है, जबकि अभी यह मात्र 2.2 करोड़ टन का उत्पादन करने में सक्षम है। मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है।