तमिलनाडु के सहकारी समितियों ने मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें तमिलनाडु सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2012 में संशोधन को असंवैधानिक घोषित कर दिया जाय।
अदालत की खंडपीठ ने संशोधित अधिनियम को सही ठहराया है, उनका कहना है कि इस संशोधन से समितियों के उपनियम कमजोर नहीं होंगे और न ही यह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के खिलाफ है।
उल्लेखनीय है कि संशोधित अधिनियम के अनुसार निदेशक बोर्ड के अनुपस्थिति में जनरल बॉडी के नए सदस्यों को स्वीकार करने की शक्ति होगी। संशोधन करने से पहले अकेले बोर्ड को ही इसकी शक्ति थी।
अदालत के फैसले से उन लोगों को धक्का लगा है जो संशोधित अधिनियम से पहले मौजूद व्यवस्था को सही मानते थे।