यूनियन कैबिनेट ने गुरुवार को नाबार्ड अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी है जिससे नाबार्ड और अधिक सार्थक तरीके से ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण की वृद्धि को बढ़ावा दे सकता है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार कृषि और ग्रामीण विकास (नाबार्ड)1981 एक्ट के में संशोधन से सहकारी समितियों की परिभाषा को व्यापक बनाकर देश भर में सभी बहु राज्य सहकारी पंजीकृत सोसायटी को शामिल किया जाएगा।
नाबार्ड की अधिकृत पूंजी करीब 20 हजार करोड़ हो जाएगी। इस भारी राशि से इसकी सारी गतिविधियों में बदलाव होगा।
यह उल्लेखनीय है कि पहले नाबार्ड 5 हजार करोड़ रुपए से ही काम चलता था।
1982 में स्थापित नाबार्ड ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कार्य किया है। इसकी अधिकृत पूंजी के बढ़ने से ही ग्रामीण ऋण और विकास के क्षेत्र में नई पहल और कार्यक्रमों की संभावनाएँ भी बढ़ेंगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि आर्थिक रूप से शक्तिशाली नाबार्ड का मुख्य उद्देश्य खेती की आबादी में वित्तीय अपवर्जन को कम करने और असाधारण ढंग से देश में ग्रामीण विकास के दायरे को बढ़ावा देना होगा।