मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह और न्यायमूर्ति अनूप मोहता की खंडपीठ ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 के खण्ड ZJ (1) के ऑपरेशन के तहत सहकारी समितियों के निदेशकों की संख्या 21 ही रखी है।
तथ्य यह है कि महाराष्ट्र में राज्य स्तर के शीर्ष सहकारी समितियों के 35 जिलों में से प्रत्येक से कम से कम एक निदेशक है।
संबंधित प्रावधान 15 फ़रवरी 2013 को लागू हुआ।
बॉम्बे सहकारी परिदृश्य से लग रहा है उन्हें इस ऐतिहासिक संवैधानिक संशोधन के लेखन में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।
न्यायालय के समक्ष कहा गया है कि भारत में 5.54 लाख और महाराष्ट्र में 2.27 लाख सहकारी समितियाँ पंजीकृत हैं और उनका वार्षिक कारोबार बहुत बड़ा है।
देश में कुल 23.64 करोड़ सहकारी समितियों के सदस्यों में से महाराष्ट्र में 5.50 करोड़ हैं।
महाराष्ट्र की आबादी का आधा हिस्सा सहकारी समिति के सदस्यों का है यह बताया गया था। संशोधन एक मराठा दिग्गज श्री शरद राव पवार की देन है, यह आश्चर्य की बात है कि इस तरह का एक झटका उनके गृह राज्य से आया है।
-आईसी नाईक