मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दिनेश का अभिकथन है कि एनसीयुआई सभागार के पुराने विक्रेता का व्यवसाय के लिए उनके अनुबंध का नवीकरण नहीं किया गया है, लेकिन भारतीय सहकारिता डॉट कॉम को इसका विपरित ही स्थिति मिली है।
जब भारतीय सहकारिता ने पुराने विक्रेता नकली पहचान पर एक हॉल बुक करने के लिए फोन किया, तो उसने बाहर हॉल को अलग-अलग दरों की बात की, “70 लोगों के एक असेंबली के लिए हम एक शिफ्ट के लिए 17 हजार रुपये चार्ज करते है, विक्रेता ने बताया।
इससे पहले सभागार के मुद्दे को एनसीयुआई की कार्यकारी समिति की बैठक में उठाया गया था जो कि, काफी देर से लंबित है। अध्यक्ष चन्द्र पाल सिंह ने समिति के सदस्यों को इस मुद्दे को जल्दी हल करने को कहा है।
जी एच अमीन, डॉ. दिनेश और मुदित वर्मा इस समिति के सदस्य हैं।
ई.सी. के अन्य सदस्यों की मदद के साथ समिति ने निर्णय लिया कि विक्रेता पहले बिजली और पानी के बिल को चुकाए। कटौती के बाद यह राशि 60-70 लाख रुपये हो गई है, समिति के एक सदस्य ने भारतीय सहकारिता को सूचित किया।
यह भी निर्णय लिया गया कि अनुबंध के नवीकरण को पुराने विक्रेता के लिए मनमाने तरीके से नहीं किया जा सकता है और एक उचित तंत्र को इसके लिए विकसित किया जाय। सबसे पहले हमने वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए सभागार को पट्टे के लिए डीडीए की मंजूरी की जरूरत है, समिति के सदस्यों में से एक ने भारतीय सहकारिता को बताया।
हमने अखबार में विज्ञापन डाल दिया है और भविष्य में जो लोग एनसीयुआई के साथ अनुबंध में प्रवेश करना चाहते हैं उनसे प्रस्तावों की अपेक्षा है, सदस्य ने कहा।
उन्होंने भारतीय सहकारिता को बताया कि एनसीयुआई के अध्यक्ष चन्द्रपाल सिंह और नेफेड अध्यक्ष बिजेन्दर सिंह ने दृढ़ता से इस कदम का समर्थन किया है।
ऐसी अफवाह है कि अनुबंध को पुराने विक्रेता के पक्ष में नवीकरण किया गया है सदस्य ने कहा कि ऐसा जो करेगा उसे जेल जाना पड़ सकता है।
पाठकों को याद होगा कि पुराने विक्रेता ने एनसीयुआई के साथ एक सौदेबाजी के तहत अपने अनुबंध को नवीनीकृत करने को कहा था या फिर शीर्ष संगठन से अपनी बकाया राशि को भूलने को कहा था।
विक्रेता पर सभागार के खराब हालत में रखने का भी आरोप है, साथ ही कुर्सियों के टूटी होने और एयर कंडीशनर के काम न करने का भी आरोप लगा है।