इफको

इफको पर पवार का बयान बना मीडिया की सुर्खियाँ

केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के बयान “मंत्रालय इफको के काम में हस्तक्षेप नहीं कर सकता” मीडिया का ध्यान आकर्षित किया है।

नवभारत टाइम्स ने पवार के हवाले से लिखा है कि “कृषि मंत्रालय को इफको के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। यह (इफको के आला अधिकारियों के प्राइम संपत्तियों के हस्तांतरण) बोर्ड द्वारा लिया गया निर्णय है और हमारी इसमें कोई भूमिका नहीं है।”

द फाइनेंशियल डेली ने पवार के हवाले से लिखा है कि “हाल ही में सहकारी अधिनियम में संशोधन किया गया है जिसके तहत कार्रवाई करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। नए संवैधानिक संशोधन के अनुसार सरकार के पास इक्विटी या वित्तीय हित होने पर ही हस्तक्षेप करने की कोई शक्ति है।”

जी बिज़ डॉट कॉम जो कि जी न्यूज की एक सहायक है ने भी शरद पवार के बयान पर प्रकाश डालकर लिखा है कि इफको देश भर में फैले लगभग 40 हजार सहकारी समितियों द्वारा चुने गए बोर्ड द्वारा प्रबंधित किया जाता है।

फाइनेंशियल एक्सप्रेस, एक्सप्रेस समूह के व्यापार भाग ने अपने संस्करण में पवार के बयान को शब्द दर शब्द हवाले से प्रकाशित किया है।

लोकप्रिय हिंदी डेली जनसत्ता ने केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के हवाले से तीन कॉलम का समाचार लिखा हैं। समाचार पत्र ने जोर देकर कहा है कि मामले को सदस्यों के समक्ष 30 मई को इफको की एजीएम में रखा जाएगा।

भारतीय सहकारिता ने भी पवार के बयान को सहकारी स्वायत्तता के तहत मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया था। सही या गलत का फैसला सदस्यों द्वारा किया जाएगा, सरकार से इस मुद्दे पर तर्क नहीं किया जाएगा।

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