भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ अंततः संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के भव्य समापन समारोह के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता कांग्रेस की मेजबानी की तैयारी में लग गया है।
भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने मुख्य अतिथि होने की सहमति दे दी है।
एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी डॉ. दिनेश जो कि वेम्नीकॉम के दोहरी प्रभारी होने के कारण पुणे और दिल्ली के बीच समय देते रहते है ने भारतीय सहकारिता को मुस्कुराते हुए कहा कि यह कांग्रेस मई के अंतिम सप्ताह में या जून के पहले सप्ताह में संपन्न हो जाएगा।
“कांग्रेस के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी हासिल करने का श्रेय हमारे अध्यक्ष डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव को जाता है”, डॉ. दिनेश ने भारतीय सहकारिता को बताया।
सहकारी के शीर्ष निकाय एनसीयूआई ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मुख्य अतिथि के लिए आमंत्रित किया था लेकिन व्यस्तता के कारण उन्होने सहकारिता को समय नही दिया। प्रधानमंत्री 2014 में चुनाव की संभावना और
तनावपूर्ण राजनीतिक परिदृश्य के कारण सहकारी समारोह के लिए समय नही निकाल पाए।
इससे पहले इफको द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को आमंत्रित किया गया था। प्रधानमंत्री और देश के सत्तारूढ़ पार्टी शायद सहकारी समारोह को तवज्जो नहीं देते है इनमें शरद पवार एकमात्र अपवाद है, जो सहकारी समितियों के बल पर ही अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाए रखा है।
इसके विपरीत 70 और 80 के दशक में इंदिरा गांधी ने नेफेड की एजीएम में भी में भाग लिया था। नेहरु की तो बात ही न की जाय जो सहकारी समितियों को बहुत महत्वपूर्ण मानते थे और वे चाहते थे कि संपूर्ण भारतीय राष्ट्र सहकारी आंदोलन से लाभ ग्रहण करें। .
एनसीयूआई उचित अतिथि के अभाव में छह महीने से ज्यादा के लिए सहकारिता कांग्रेस स्थगित कर दिया था। वह भारत के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री से कम पर समझौता करने को तैयार नहीं था।
इससे पहले उसने सहकारी कांग्रेस के आयोजन के लिए नोएडा स्थित फिल्म स्टूडियो के साथ टाई अप करने की कोशिश की थी लेकिन पर्याप्त समर्थन हासिल करने में विफल रहने के कारण इस विचार को त्याग दिया गया।