हाल ही में निर्वाचित बिस्कोमॉन बोर्ड अधर में लटका हुआ है, बोर्ड और प्रबंध निदेशक सीके अनिल अपने मतभेदों को सुलझाने में सक्षम नहीं हैं। अध्यक्ष और अन्य बोर्ड के सदस्यों ने श्री अनिल पर सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया हैं, हालांकि अनिल ने बोर्ड पर अनुचित तरीके से जल्दबाजी में सत्ता पर काबिज होने का आरोप लगाया है।
भारतीय सहकारिता से बातचीत करते हुए प्रबंध निदेशक श्री अनिल ने कहा कि बिस्कोमॉन चुनाव को चुनौती देने की याचिका अदालत में हैं, यह मामला जब तक खत्म नहीं होगा जब तक इस मुद्दे का कोई हल नहीं निकल सकता है। उन्होंने आगे बताया कि यहाँ दो चुनाव याचिका है; एक सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के कार्यालय में और एक हाईकोर्ट में है।
मामला न्यायाधीन है और इस मामले पर टिप्पणी करने की कोई जरूरत नहीं है।
बिस्कोमॉन के अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह ने प्रबंध निदेशक पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह सहयोग नहीं कर रहे है। वह बोर्ड की बैठक में भाग न लेकर उपनियमों का उल्लंघन कर रहे है, श्री सिंह ने भारतीय सहकारिता को बताया।
निर्वाचित प्रधान और सरकार द्वारा नामांकित व्यक्ति के बीच लड़ाई ने अपने पहले कार्यकाल में अध्यक्ष के खिलाफ अनियमितताओं के कथित मामलों में वित्तीय जांच की शुरुआत कर दी है। सहकारी ऑडिट में कुछ अनियमितताओं को पाया गया है और एक अधिभार नोटिस भी जारी किया गया है, श्री अनिल भारतीय सहकारिता को बताया।
सुनील सिंह ने वित्तीय शक्तियों को अनाधिकार से अपनाने का आरोप एमडी पर लगाया है जो कि 1990 के वित्तीय नियमावली के अनुसार उनका नहीं है। बोर्ड या प्रशासक से पूर्व अनुमति लिए बिना 26 लाख रुपये मूल्य के कम्प्यूटर की खरीद की चर्चा भी जोरो से है।
आरोप को खारिज करते हुए श्री अनिल ने कहा कि जब वे इतने लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहे है तो अब वे इंतजार क्यों नहीं कर सकते। जो भी हो सच यह है कि इस सब से राज्य विपणन महासंघ का काम ठप्प पड़ा हुआ है।