जीसीएमएमएफ ने अपनी ख्याति में एक और खूबी को जोड़ लिया है। यह दुनिया में एक प्रमुख दूध फिल्म निर्माता बन गया है। गांधीनगर में इसका भट्ट गांव संयंत्र एक साल में 17 हजार मीट्रिक टन उत्पादन करता है करीब 80 करोड़ रुपये इस इकाई की क्षमता विस्तार पर खर्च किया गया है।
इससे पहले यह केवल 8 हजार मीट्रिक टन का उत्पादन करने में सक्षम था। संयंत्र का 2014 में दूध फिल्म का उत्पादन दोगुनी हो जाएगा।
जीसीएमएमएफ के द्वारा प्रयुक्त पाउच में दूध का वितरण एक महान सफलता है। दरअसल दूध की एक आसान और किफायती पैकेजिंग के रूप में इसने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित की है।
खबरें हैं कि भारत के पड़ोसी और यूरोप के कुछ देशों ने भी पाउच का उपयोग शुरू कर दिया है। भारत में 80 मिलियन पाउच का दैनिक उपयोग होता है, अकेले जीसीएमएमएफ के अमूल लगभग 20 मिलियन पाउच इस्तेमाल पाउच इस्तेमाल करता है।
भारतीय सहकारिता से बात करते हुए जीसीएमएमएफ के प्रबंध निदेशक श्री आर.एस. सोढ़ी ने कहा कि पाउच के माध्यम से दूध की आपूर्ति को पर्यावरण के अनुकूल और सस्ता माना जाता है। विदेशी प्रतिनिधिमंडल गांधीनगर संयंत्र में दूध पैकेजिंग फिल्म को देखने के लिए बड़ी तादाद में आ रहे हैं।
गांधीनगर संयंत्र परिष्कृत और सबसे उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है, श्री सोढ़ी ने कहा।
श्री सोढ़ी के मुताबिक खाली दूध के पाउच री-साइकिल हो सकता है जिससे सामग्री की बर्बादी नहीं होती हैं।