आई सी नाईक
महाराष्ट्र विधानसभा ने एक संयुक्त प्रवर पैनल को राज्य सहकारी कानून भेजा है और जिससे इस बजट सत्र में इसके पारित होने की संभावना कम हो गई है।
विशेषज्ञ (विधान परिषद ने पहले ही इस विधेयक को पारित कर दिया है) इसे एक बुद्धिमान कदम मानते हैं। अध्यादेश को जल्दबाजी में अंतिम क्षणों में तैयार किया गया था और करीब से देखने पर उसमें कई खामियाँ नज़र आती है।
कई गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं के प्रबंधन में अराजकता है, इनकी समितियों का कार्यकाल समाप्त हो गया है।
महाराष्ट्र सहकारिता (संशोधन) द्वारा यथा संशोधित एमसीएस अधिनियम 1960 की धारा 73I के मामले में अध्यादेश 2013 का 14.2.2013 से ऐसी समितियों का अस्तित्व समाप्त हो गया है।
अनुच्छेद 97CAA 2011 के तहत रजिस्ट्रार की निलंबित शक्तियों (संसद के एक अधिनियम) को धारा 77A में बताए अनुसार पुनर्जीवित किया जाएगा और “तत्कालीन प्रशासक” के नये अवतार को अधिकृत अधिकारी के नए नाम पर 6 महीने का एक नया पट्टा मिल जाएगा।
इन सोसाइटियों को राज्य सहकारी चुनाव प्राधिकरण से आर्ग्यु करने की सलाह दी जाती है-छह महीने के भीतर एमसीएस अधिनियम 1960 की नई धारा 73CB के तहत वे कार्यशील हो जाएंगे चाहे संयुक्त चयन पैनल द्वारा अपने काम को खत्म करता है या नहीं।