एक महत्वपूर्ण फैसले में गुजरात उच्च न्यायालय ने सहकारी बैंकों को अपने ऋण की वसूली के लिए संपत्ति को नियंत्रण में नहीं ले सकती है कहा गया है। उच्च न्यायालय के अनुसार सिक्युरिटाइजेशन और वित्तीय आस्तियों के पुनर्गठन और प्रतिभूति ब्याज अधिनियम का प्रवर्तन सहकारी बैंकों पर लागू नहीं होता है, यह बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 के खिलाफ जाना होगा।
गुजरात हाई कोर्ट के फैसले ने देश भर में कई उच्च न्यायालयों द्वारा दिए गए फैसले को खारिज कर दिया है।
गुजरात उच्च न्यायालय की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के बंबई सहकारी बैंक बनाम युनाइटेड यार्न प्राइवेट लिमिटेड के एक निर्णय को उदाहरण की तरह लिया है।
इस मामले में याचिकाकर्ता सहकारी बैंकों से ऋण के पुनर्भुगतान पर डिफाल्टर थे और प्रतिभूतिकरण अधिनियम के तहत नोटिस का सामना कर रहे थे। याचिका में उनका मुख्य तर्क था कि सहकारी बैंक एक बैंकिंग कंपनी नहीं है और वह राज्य अधिनियमों के अधीन है इसलिए प्रतिभूतिकरण अधिनियम उन पर लागू नहीं होता है।