किसानों की सहकारी समितियों के संघ और दूध उत्पादन किसान सहित गुजरात के किसान स्पेशल इंवेस्टमेंट रीज़न (एसआईआर) के माध्यम से औद्योगिकीकरण का खुले तौर पर विरोध कर रहे है।
घटना के प्रत्यक्ष ज्ञान के साथ एक स्रोत का कहना है कि लेफ्ट शासित पश्चिम बंगाल में जो कुछ हुआ था, अभी गुजरात में उसकी याद आने लगी है।
राजनीतिक विश्लेषक इसे विशेष रूप से मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अच्छा नही समझते है जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी के चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। कुछ लोग तो यहाँ तक कहते है कि यह गुजरात में तेजी से पूंजीवादी विकास की मोदी शैली के खिलाफ एक बड़ा जन आंदोलन को गति प्रदान कर सकता है।
किसानों की एक बड़ी संख्या पहले से ही राज्य में प्रस्तावित विरामगाम बेचारजी विशेष निवेश क्षेत्र परियोजना का विरोध करने के लिए जमीन अधिकार आंदोलन के बैनर तले लामबंद हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार इस क्षेत्र को ऑटो उत्पादन हब के रुप में विकसित करने का इरादा रखती है।