गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ के अध्यक्ष विपुल चौधरी का मानना है कि केंद्र सरकार को मदर डेयरी पर से अपना नियंत्रण छोड़ देना चाहिए और इसे सहकारी समितियों द्वारा प्रबंधित किये जाने की अनुमति दे देना चाहिए।
ऐसे समय में जब सरकार विभिन्न सार्वजनिक उद्यमों में पैसा लगा रहे है, यदि वह गंभीरता से दूध के कारोबार में अपनी भागीदारी पर फिर से विचार करें तो यह तर्कसंगत हो सकता है। श्री चौधरी ने राजधानी में पत्रकारों से बात करते हुए कहा।
मदर डेयरी एक सरकारी संगठन है जो कि दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई और सौराष्ट्र में दूध बेचता है। इसे राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा संचालित किया जाता है।
श्री चौधरी के अनुसार जिस समय एक संगठन की जरूरत थी, उस समय में मदर डेयरी स्थापित किया गया था। पिछले कुछ वर्षों में यह धारणा बदल गई है लेकिन अब यह केवल प्रासंगिक लगता है। अब समय आ गया है जब ऐसी कंपनी को अमूल की तर्ज़ पर सहकारिता को सौंप देना चाहिए, उन्होंने कहा।
मदर डेयरी ने दिल्ली के आसपास और जीसीएमएमएफ की डेयरी सहकारी समितियों से किए गए मुनाफे के माध्यम से एनडीडीबी के सभी ऋणों का भुगतान कर दिया है, श्री चौधरी ने कहा। अब इसे एनडीडीबी द्वारा नियंत्रित करने के लिए अब कोई विषय नही बचता है और वह उचित रास्ते जाने के लिए स्वतंत्र है।
मदर डेयरी राजधानी सहित देश के विभिन्न शहरों में दूध की एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है।