भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) 25 जून को आयोजित सहकारी कांग्रेस की सिफारिशों पर काम कर रही है। एनसीयूआई के उपाध्यक्ष जी एच अमीन के अनुसार इन सिफारिशों में से कुछ का सहकारी क्षेत्र पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।
भारतीय सहकारिता ने इस बारे में जब एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी डॉ. दिनेश से बात की तो उन्होंने भी इसी तरह की बात कही।
सहकारी कांग्रेस के व्यस्त कार्यक्रम के बाद भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के मुख्य कार्यकारी डॉ. दिनेश ने भारतीय सहकारिता को बताया कि उद्घाटन सत्र से लोगों का ध्यान आकर्षित करने में मदद मिली लेकिन दो दिवसीय तकनीकी सत्र समारोह की आत्मा थी।
8-10 से अधिक सत्रों में कई वक्ताओं जैसे इफको के प्रबंध निदेशक यू.एस. अवस्थी, अमूल के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी और अन्य संस्थाओं के एमडी ने भाग लिया, डॉ. दिनेश ने कहा। एनसीयूआई बहुत गंभीरता से सिफारिशों पर कार्य कर रहा है।
डॉ. दिनेश ने जोर देकर कहा कि सभी वक्ता स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में सहकारिता को एक विषय के रूप में शामिल करने के सवाल पर एकमत थे। जब तक युवाओं के मन में सहकारी भावना की समझ नही होगी तब तक कैसे हम सहकारी मूल्यों से ओतप्रोत कॉपरेटर्स की एक पीढ़ी का निर्माण कर सकते है, उन्होंने कहा।
दूसरी अन्य सिफारिश जमीनी स्तर पर महिला कॉपरेटर्स को बढ़ावा देने से संबंधित है, जिस पर एनसीयूआई काम कर रहा है। 97वें संवैधानिक संशोधन के बाद यह और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, जिसमें महिलाओं को सहकारी समितियों के बोर्ड में शामिल होना निहित है, डॉ. दिनेश ने कहा।
यदि हमने एक समर्थकारी माहौल नहीं बनाया तो आरक्षण का कोई लाभ नहीं होगा जहां अधिक से अधिक महिलाओं को स्थानीय सहकारी निकायों में शामिल करना है। एनसीयूआई को जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है।
सहकारी समितियों के लिए तीसरा प्रमुख मुद्दा आय कर छूट से संबंधित है। हमने इस तकनीकी सत्र के लिए प्रसिद्ध लखोटियाजी को भाषण के लिए आमंत्रित किया था और प्रतिभागियों ने उनके भाषण का बहुत फायदा लिया।
डॉ. दिनेश ने कहा कि इस सहकारी कुंभ से हर किसी को लाभ हुआ है, यह सभी हितधारकों के लिए एक जीत की स्थिति थी और मैं इफको, कृभको, जीसीएमएमएफ और अन्य दूसरी संस्थाओं के बेहिचक समर्थन के लिए उनको धन्यवाद देता हूं।