महाराष्ट्र में 97वें संशोधन के साथ सहकारी समितियों के गठन में कार्य करना अभी बाकी है। इसे पूरा करने के प्रयास में राज्य सरकार ने विधानसभा में सहकारी समिति बिल 2013 के विभिन्न पहलुओं की जांच करने के लिए सदन की संयुक्त चयन पैनल ने एक रिपोर्ट पेश की है।
बदलाव: किसी भी सक्रिय सदस्य को किसी भी बैठक में उपस्थित नहीं होने के बावजूद एक अवसर दिया जाएगा और उसकी सेवा समिति द्वारा जारी रखा जाएगी। जिन सदस्यों के अभी तक तीन वर्ष पूरे नहीं हुए उनको मतदान के अधिकार से दूर रखना अन्याय होगा, समिति की प्रबंध समिति की ताकत 21 सदस्य होंगे और निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा, सहकारी समितियों में महिलाओं के लिए दो सीटें आरक्षित करना अनिवार्य होगा।
नए बिल के अनुसार यदि सरकारी योजनाओं या कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के कारण कोई नुकसान होता है तो सरकार सहकारी ऋण समिति को प्राथमिकता के आधार पर वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
राज्य सहकारी मंत्री हर्षवर्धन पाटिल के अनुसार सहकारी समितियों को वित्तीय वर्ष की समाप्ति के छह महीने के भीतर चुनाव का संचालन करना होगा। यह महाराष्ट्र सहकारिता अधिनियम 1960 में प्रस्तावित संशोधनों में से एक है, मंत्री ने कहा।