इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. यू. एस. अवस्थी एक स्वतंत्र विचारक है। भारतीय सहकारिता के साथ एक मुक्त वार्ता में उन्होंने देश में सहकारी आंदोलन के विकास को दबाकर रखें मुद्दों के बारे में बात की।
डॉ. अवस्थी ने कहा कि सहकारी एक बड़ा विषय है और हमें सहयोग के लिए एक अलग मंत्रालय की जरूरत है। कृषि मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में एक एसएलपी दायर की है, जिसमें गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा 97वे संशोधन को रद्द करने का मामला है, उन्होंने इसका भी जिक्र किया।
अवस्थी ने कहा कि यह राज्य सहकारिता का विषय है, ऐसा लगता है कि संशोधन को राज्य विधानसभा में पहले विचार विमर्श नहीं किया गया था। मंत्रालय को सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से केस लड़ने की आवश्यकता होगी, उन्होंने कहा।
लेकिन अवस्थी का मानना है कि राजनीतिक नेतृत्व को सहकारी निकायों का पदाधिकारी बनने से दूर रहना चाहिए।
“लोकतांत्रिक मूल्यों से ओत-प्रोत हमारी पूर्वजों के पंचायत की कल्पना को राजनीतिक मंच और सहकारिता को व्यावसायिक मंच बना दिया गया है। सहकारिता को वाणिज्यिक गतिविधियों के साथ खुद की चिंता करना चाहिए”, उन्होंने बल देकर कहा।
इफको का जिक्र करते हुए प्रबंध निदेशक ने कहा कि यहाँ कोई नेता शीर्ष पद पर नही है। हमारे सभी निदेशक कठोर परिश्रमिक सहकारी कार्यकर्ता है। यहाँ स्वाभाविक रूप से वाणिज्यिक विकास का माहौल पैदा हो गया है, उन्होंने कहा।
उन्होंने रुपए का मूल्य गिरने से विदेशी मुद्रा संकट की बात भी कही। इन दिनों हमारे संगठन के मामलों में परिलक्षित करने के लिए बाध्य है, जिससे घरेलू अर्थव्यवस्था पर काफी दबाव है, जिसके लिए उन्होंने खेद व्यक्त किया।
इसके अलावा हमारी परेशानियों में देरी से सब्सिडी का भुगतान करने का मुद्दा शामिल है, उन्होंने कहा। इफको ने हमेशा किसानों को भुगतान की जाने वाली सब्सिडी की वकालत की है, एमडी ने कहा।