अखिल भारतीय सहकारी बैंक कर्मचारी संघ (एआईसीबीईएफ) ने प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) के केन्द्रीय सहकारी बैंक के व्यवसायिक तौर पर रूपांतरण का विरोध व्यक्त किया है।
एआईसीबीईएफ के महासचिव पी. बालकृष्णन ने कहा कि इस कदम से ग्रामीण परिदृश्य से मौजूदा पैक्स का सफाया हो जाएगा। “यह एक रेट्रोग्रेड उपाय है और हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं। पैक्स को व्यवसायिक तौर पर इस रूपांतरण को अस्थिर और ग्रामीण ऋण प्रणाली का अति ब्याज वाले साहूकार ऋण प्रणाली में हस्तांतरण हो जाएगा,” उन्होंने कहा।
महासंघ ने इस तथाकथित “अविवेकपूर्ण आदेश” पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए जल्द ही एक देशव्यापी हड़ताल के ज़रिए इस कदम का विरोध करने का फैसला किया है।
देश भर में फैले 94,000 पैक्स कार्य कर रहे हैं, जिनमें से 50,000 से अधिक ने 1,858 करोड़ रुपए का मुनाफा दर्ज किया है। कुल जमा में पैक्स ने 48,000 करोड़ रुपए की राशि जुटाई है और 90,695 करोड़ रुपये का कुल संवितरण किया है।
इस तरह से एक स्थापित ग्रामीण वित्तीय मध्यस्थ प्रणाली का सफाया किया जा रहा है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है, बालकृष्णन ने कहा।
उन्होंने आगे कहा कि छोटे और सीमांत किसान उनके ऋण की जरूरत के लिए पैक्स पर निर्भर करते है जो कि ज़िरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराते है उनको केंद्र सरकार से ब्याज सब्सिडी मिल सकती है।
सौजन्य: द हिंदू