सहकारी संगठनों से उठ रहे उग्र विरोध के स्वर को देखते हुए नाबार्ड प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों पर अपने परिपत्र पर पीछे हट गया है।
इस परिपत्र को एक निर्देश के रूप में लिये जाने की जरूरत नहीं है और पैक्स सहित सभी शेयरधारकों को सावधानी से विचार के बाद ही कोई फैसला लेना चाहिए।
इसके बजाय नवीनतम नाबार्ड परिपत्र के अनुसार पूरी बात को एक अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले नाबार्ड परिपत्र पर सहकारी दुनिया खासकर केरल हैरान था। राज्य हजारों पैक्स के लिए
प्रचलित है उन्होने नाबार्ड के परिपत्र के खिलाफ आवाज उठाई थी।
सूत्रों का कहना है कि नाबार्ड का पैक्स पर निर्देश विनाश का कारण हो सकता है। नाबार्ड बुनियादी भागों को नष्ट नहीं कर सकता जिन्हें सहकारी क्षेत्र से बनाया गया है और इस कदम के पक्ष में वह अपने तर्क के बिना ही थे, सूत्रों का दावा है।