इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. यू.एस. अवस्थी ने उर्वरक क्षेत्र को समस्याओं से बाहर निकालने के लिए यूरिया पर ढील बरतने को कहा है। फसल पोषक तत्व स्वतंत्र रूप से आयात योग्य वस्तु होना चाहिए, डॉ. अवस्थी ने सुझाव दिया।
उनके विचार में यूरिया एक ओपन गुड्स लायसेंस [ओजीएल] वस्तु होना चाहिए और उर्वरक कंपनियों को लंबे समय के जटिल अनावश्यक नौकरशाही प्रक्रिया के माध्यम के बिना आयात करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
डॉ. अवस्थी के अनुसार यूरिया को वर्तमान में आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत कवर किया जाता है और इसकी कीमतों को उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के तहत नियंत्रित किया जाता है। भारत सरकार द्वारा नामित तीन एजेंसियों के जरिए वितरक हेतु फसल पोषक को आयात किया जाता है, श्री अवस्थी ने कहा।
उल्लेखनीय है कि भारत में 30 मिलियन टन की वार्षिक खपत है। साल में यूरिया का केवल 22 मिलियन टन का उत्पादन होता है इसलिए 8 मिलियन टन का आयात करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। पिछले वित्त वर्ष में इफको ने 45.10 लाख टन का उत्पादन किया।
पाठकों को ज्ञात होगा कि इफको देश में उर्वरक का सबसे बड़ा उत्पादक है, इस सहकारी महासंघ को पांच करोड़ मजबूत सदस्यों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
सौजन्य- पीटीआई