एक लड़ाई जो भारत की सहकारिता के परिदृश्य के लिए पीड़ादायक बन गई थी, गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा जीसीएमएमएफ के अध्यक्ष विपुल चौधरी को हटाए जाने के लिए रास्ता साफ़ करने के साथ सोमवार को समाप्त हो गई. अमूल जो भारतीय सहकार का गौरव है, पुनः व्यापार करने के लिए तैयार है.
फैसले में उच्च न्यायालय ने कहा-“इस याचिका को योग्यता के आधार पर स्वीकार किया गया है. इसके कायम रखने के बारे में प्रतिवादियों की प्रारंभिक आपत्ति को ऊपr के पैरा 9 में दर्ज कारणों और परिस्थितियों के आधार पर खारिज किया जाता है.” फ़ैसले में आगे वर्णित है- “वादी के मुख्य वाद कि गुजरात सहकारी सोसायटी अधिनियम, 1961 में किसी भी प्रावधान के अभाव में अविश्वास प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जाना चाहिए था और उसे याचिकाकर्ता के खिलाफ पारित नहीं किया जाना चाहिए था, मामला पुनर्विचार के लिए डिवीजन बेंच में भेजा जाता है”. मामला अब गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को सौंपा जाएगा.
फैसले के मद्देनजर संकेत हैं कि जीसीएमएमएफ के अध्यक्ष विपुल चौधरी को जल्द ही संगठन की जिम्मेदारियों से मुक्त किया जाएगा. हालांकि, उनके पास अभी भी इस निर्णय के विरुद्ध अपील करने का विकल्प है.
जीसीएमएमएफ के भीतर श्री चौधरी का विरोध करने वाला समूह आरोप लगाता है कि उन्होंने महासंघ के मामलों का प्रबंध ठीक से नहीं किया और उनके बने रहने से संगठन बर्बाद हो जाएगा. जीसीएमएमएफ से संबद्ध लगभग 30 लाख दुग्ध उत्पादक हैं और उनका भविष्य दांव पर लगा है, श्री चौधरी के आलोचकों ने चेतावनी दी है.
मेहसाणा जिला दुग्ध उत्पादक संघ के सदस्यों ने भी चौधरी पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए हैं. राज्य सरकार ने पहले ही चौधरी और उनके करीबी सहयोगियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर एक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है.