भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के मुख्य कार्यकारी डॉ दिनेश ने अर्जेंटीना के ब्यूनस आयरस में मार्च के अंतिम सप्ताह में आयोजित विश्व खाद्य संगठन की महासभा में खाद्य संप्रभुता का विचार रखा.
खाद्य सुरक्षा अतीत की बात है और खाद्य संप्रभुता वर्तमान की, डॉ. दिनेश ने प्रस्तुति के तुरत बाद भारतीयसहकारिता.कॉम को सूचित किया. इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रोड मैप का ब्यौरा देते हुए डॉ. दिनेश ने कहा कि हमारे किसानों द्वारा उत्पादित 40 प्रतिशत अनाज लाभार्थियों तक नहीं पहुंच रहा है.
दुनिया की आबादी 2050 तक 9 अरब हो जाएगी और यदि हम कृषि योग्य भूमि की सीमा का विस्तार 70 प्रतिशत तक नहीं करते, तब तक भोजन की मांग पूरी नहीं की जा सकती, उन्होंने कहा. यह एक विशाल कर्य है. हमें भूमि की प्रति एकड़ उत्पादकता बढाना एकमात्र विकल्प है.
विकसित देशों के लिए यह आसान नहीं है क्योंकि तकनीकी प्रगति के वर्तमान स्तर के साथ भी अधिक से अधिक 10-15 प्रतिशत की वृद्धि संभव है नहीं. हालांकि, भारत जैसे विकासशील देशों का वादा सबसे बडा है क्योंकि नवीनतम प्रौद्योगिकी की मदद से 60 प्रतिशत तक की वृद्धि संभव है, डॉ. दिनेश ने भारतीयसहकारिता.कॉम को बताया.
इस तथ्य पर जोर देते हुए कि खाद्य को गहने या वस्त्र की तरह एक वस्तु के रूप में नहीं माना जा सकता, उन्होंने कहा कि भोजन मानव जाति के अस्तित्व से जुड़ा है और इस पर सबका स्वाभाविक अधिकार है. “मैंने केवल इस संदर्भ में खाद्य संप्रभुता का विचार प्रतिपादित किया. सरकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख नीतिगत परिवर्तन करना चाहिए, डॉ. दिनेश ने कहा.
महासभा में दुनिया भर से प्रख्यात प्रतिभागियों ने भाग लिया और प्रमुख भाषण महामहिम केनेथ क्विन द्वारा दिया गया था जो संयुक्त राज्य अमेरिका से है और कथित तौर पर नोबल पुरस्कार समिति के एक सदस्य हैं.