एक सहकारी समिति के दिन-प्रति-दिन के प्रबंधन में उप-विधियों के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता है लेकिन उप-विधियां कानूनों बिलकुल नहीं होती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है- “हम यह बयान स्वीकार करने में असमर्थ हैं कि अधिनियम के प्रावधानों के अनुसरण में बनी सहकारी समिति की उप-विधियों को कानून माना जा सकता है या उसे कानून की शक्ति प्रदान की जा सकती है.
उप-विधियां एक समिति के आंतरिक प्रबंधन, व्यवसाय या प्रशासन को नियंत्रित कर सकती हैं. वे उनके द्वारा प्रभावित लोगों के बीच बाध्यकारी हो सकती हैं, लेकिन उन्हें क़ानून की शक्ति नहीं प्राप्त है.