उपभोक्ता मंत्रालय और एनसीसीएफ के बीच गतिरोध ने बिजेन्द्र सिंह को नेफेड का अध्यक्ष और एनसीसीएफ के बोर्ड में निदेशकों में से एक बना दिया है. उन्होंने उपभोक्ता मामले मंत्रालय के मठाधीशों के कामकाज की शैली पर तीखा हमला किया है.
मंत्रालय द्वारा MSCS ऐक्ट, 2002 की धारा 122 के तहत एनसीसीएफ को नोटिस भेजने के बाद उपभोक्ता मंत्रालय और एनसीसीएफ के बीच लड़ाई की स्थिति पैदा हो गई हैं. नाराज बोर्ड जिसमें अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह के नेतृत्व में सहकारी नेता शामिल हैं, ने सरकार को अदालत में चुनौती दी है.
नोटिस में अध्यक्ष और बोर्ड पर सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन के बिना बैठकों का आयोजन करने और निर्णय लेने का आरोप लगाया गया है. मंत्रालय के विचार में प्रबंध निदेशक सक्षम प्राधिकारी है.
“यह एक सामूहिक निर्णय था, एक बोर्ड का निर्णय था. मंत्रालय इस मुद्दे पर अधिनियम की धारा 122 के तहत केवल सभापति को नोटिस कैसे जारी कर सकता हैं”, उन्होंने कहा.