“मुझे सबसे ज्यादा वोट मिले हैं अतः आपके सहकारिता समाचार पोर्टल में उचित कवरेज मिलनी चाहिए” इस संवाददाता से नव निर्वाचित निदेशक प्रेम चन्द्र मुंशी के शब्द थे.
एक दिन पहले सशंकित श्री मुंशी काफी आश्वस्त लग रहे थे और अपने पक्ष में भारी मतदान पर आश्वासन दिया. उनके प्रतिद्वंद्वी की करारी हार हुई. कुल पडे 50 वोटों में से श्री मुंशी के पक्ष में 44 वोट पडे जबकि उनके प्रतिद्वंदी को मात्र 3 और अन्य 3 वोट अवैध पाए गए.
“मुझे किसानों के मित्र इफको का प्रतिनिधित्व करने पर गर्व है और मैं इफको के उद्देश्यों के लिए अपने पूरे समर्पण का आश्वासन देता हुं”, श्री मुंशी ने भारतीयसहकारिता.कॉम को कहा.
बिहार से एक सहकारी मुंशी पहले निर्विरोध चुने जाने के लिए आशान्वित थे लेकिन पश्चिम बंगाल से श्री एक्स द्वारा नामांकन से उन्हें कुछ हद तक परेशानी हुई थी. लेकिन मतदाताओं से मिलने के अभियान के बाद उन्हें पक्का विश्वास हो गया.
मैंने अपने प्रतिद्वंद्वी को सुझाव दिया था कि वह अपना वोट बर्बाद न करे और मेरे पक्ष में वोत दे, वह हास्यपूर्ण ढंग से कहते हुए दिखे.
इफको की लोकतांत्रिक जड़ों को मजबूत साबित करने वाले एक और प्रत्याशी थे तमिलनाडु से आर रामचंद्रन जो निर्वाचन क्षेत्र संख्या तीन से दौड़ में थे.
इफको के निदेशक बनने पर श्री रामचंद्रन की मासूम क्वेरी ने जीएन सक्सेना का ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने भारतीयसहकारिता.कॉम के माध्यम से रामचंद्रन को समझाया. डॉ. सक्सेना इफको में सहकारिता संबंध के निदेशक है.