कांग्रेस और राकांपा द्वारा नियंत्रित सहकारी समितियों के एक सघन नेटवर्क वाले महाराष्ट्र के पश्चिमी क्षेत्र ने हाल के संसदीय चुनावों में इन दोनों पार्टियों को समर्थन देने से इनकार कर दिया और भाजपा को वोट दिया है.
इसे राज्य के सहकारी राजनीति में एक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है.
कांग्रेस और राकांपा का पारंपरिक रूप से क्षेत्र में सहकारी चीनी कारखानों और सहकारी बैंकों पर प्रभुत्व रहा है और उनकी शक्ति के श्रोत यही थे.
टिप्पणीकारों के अनुसार चुनाव परिणाम दिखाता है कि लोग सहकारी समितियों के सकल कुप्रबंधन से तंग आ चुके थे जिनके साथ दो कांग्रेसी जुडे थे.