नैफेड के अध्यक्ष श्री बीजेन्दर सिंह अब एक स्वतंत्र व्यक्ति है. उन्हें अपीलीय प्राधिकारी द्वारा क्लीन चिट दिया गया है और 2003-05 में नेफेड को हुए घाटे के मामले में कुख्यात सभी भ्रष्टाचार के आरोप से दोषमुक्त कर दिया गया है.
राहत महसूस करते हुए श्री सिंह ने इस संवाददाता से कहा कि मुझे कितने लोगों को बताना होगा कि मैं निर्दोष हूं और वे मुझ पर विश्वास करेंगे. “अब भगवान ने मेरी पीड़ा सुन ली. पिछले सात सालों से मैं नेफेड का एक पैसा भी नहीं छुआ है और यहां तक कि अपने मानदेय का सहकारी महासंघ के लिए योगदान कर दिया”, उन्होंने कहा.
श्री बिजेन्दर सिंह अपनी स्पष्टवादिता के लिए जाने जाते हैं. केन्द्रीय रजिस्ट्रार उनके ऊपर 1 फीसदी का जुर्माना लगाया था जिसके विरुद्ध वे अपर सचिव की अदालत में अपील में गए थे.
गहन जांच के बाद उनको और साथ ही तीन अन्य पूर्व निदेशकों को दोषमुक्त करार दिया गया. वे हैं – आर.एस.जून और एमएस डंगा राजस्थान से तथा Stanthaka महाराष्ट्र से. पाया गया कि जिस बैठक के निर्णय से नफेड को नुकसान हुआ उसमें इन्हें वोट देने का हक नहीं था.
पुराने दिनों की याद करते हुए नेफेड के अध्यक्ष ने कहा, “प्रबंध निदेशक हटाने का मेरा निर्णय था. वह पूरे निर्वाचित बोर्ड को अपमान करने पर आमादा था. सारी मुसीबतें उसे हटाने के बाद ही टूट पडीं. 9 जुलाई 2010 को हमने एमडी को बर्खास्त करने का प्रस्ताव पारित किया और जुलाई 15 को मुझे धमकी भरा नोटिस मिला. नोटिस में मेरे ऊपर आरोप था कि मैंने स्थानीय निदेशक के रूप में व्यापार बैठक में भाग लिया”.
“हर कोई को पता था कि मैं निर्दोष था. यहां तक कि तत्कालीन केंद्रीय पंजीयक ने भी यही कहा और ऊपर से दबाव की ओर संकेत किया है. मुझे एक साधारण तकनीकी आधार पर फंसाया जा रहा था. लेकिन कानून फिर कानून है और एक बार जब आप फंस गए तो अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार रहिए”, नेफेड के अध्यक्ष ने भारतीयसहकारिता.कॉम को बताया.
विशाल सिंह और मीना सिंह जो अजित सिंह के बेटे और पत्नी हैं, सहित अन्य निदेशकों के खिलाफ आरोप जारी रहेगा. क्या वे फैसले के खिलाफ उच्च अदालत में अपील में जा रहे हैं इसका पता नहीं लग सका.