सहकार भारती ने उत्तरी दिल्ली में तेग बहादुर नगर के हरिधाम में इस सप्ताहांत में अपना पांचवां सम्मेलन आयोजित किया जहां प्रतिभागियों ने देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत बनाने पर बल दिया.
कृषि एवं सहकारिता राज्य मंत्री संजीव बलियान मुख्य अतिथि थे. लेकिन पहले राधा मोहन सिंह और हर्षवर्धन सहित कम से कम तीन केन्द्रीय मंत्रियों को आमंत्रित करने की योजना थी.
आरएसएस का एक प्रकल्प, का दिल्ली में एक नई सरकार की स्थापना के बाद महत्व अचानक बढ गया है. भारतीयसहकारिता को मालूम हुआ है कि भाजपा नेताओं को सहकारी आंदोलन का वर्तमान नेतृत्व मित्रवत नहीं लग रहा है. इस संवाददाता को यह बात संक्षिप्त रूप में बताई गई.
सहकार भारती के अध्यक्ष सतीश मराठे ने बताया कि एनसीयूआई के साथ उनका कुछ नहीं लेना-देना है और दोनों निकाय अलग-अलग कार्य करते हैं. हालांकि, दिलचस्प बात है कि एनसीयूआई के अध्यक्ष चन्द्र पाल सिंह को भी आमंत्रित किया गया था लेकिन वह अग्यात कारणों से उपस्थित नहीं हो सके.
उत्तरी क्षेत्र के सरसंघचालक श्री बजरंग लाल गुप्ता मुख्य वक्ता थे जबकि ज्योतिंद्र मेहता-Nafcub के गुजरात अध्याय के अध्यक्ष, श्री सतीश मराठे के साथ विशेष रूप से आमंत्रित थे.
वक्ताओं ने राज्यों में 97CAA के क्रियान्वयन पर जोर दिया और सहकारी समितियों के लिए आयकर से छूट की बहाली की मांग की भी की है. “सहकारी समितियों के माध्यम से आर्थिक बदलाव को प्रभावशाली बनाना मुख्य लक्ष्य है और हम लोग एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं जहां सभी आत्म निर्भर हों”, श्री मराठे ने कहा.
दिल्ली में पांचवां सत्र है. पहले हम गोवा, केरल, झारखंड और महाराष्ट्र में मिले हैं, उन्होंने कहा.
एक विषय के रूप में सहकारिता को पांचवीं पंच-वर्षीय योजना में नजरअंदाज कर दिया गया था और हम इस सरकार से इस पर गौर कराना चाहते हैं. मोदीजी गुजरात से आते हैं जहां एक करोड़ से ज्यादा लोग सहकारी आंदोलन से जुड़े हैं. मराठे ने कहा कि वे इस नई सरकार से सहकारी आंदोलन के मामलों में नए सिरे से देखने की उम्मीद करते हैं.
मंत्री श्री बलियान ने कहा कि गरीबी केवल सहकारी समितियों के माध्यम से समाप्त की जा सकती है. मुझे बताया गया है कि 6 लाख सहकारी समितियां और लगभग 25 करोड़ लोग इस आंदोलन से जुड़े रहे हैं. सरकार विकास के हर कदम पर मदद के लिए तैयार है, वह वाहवाही के बीच बोले. श्री बलियान पेशे से पशु चिकित्सक हैं.