भारतीय सहकारी आंदोलन के अगुआ वैकुंठ्भाई मेहता का देश ही नहीं विदेशों में भी बडा नाम था. वे जर्मनी के Raifferisen, कनाडा के Desjardins और जापान के Toyohiko Kagawaa के बराबर गिने जाते हैं. आईसीए के महानिदेशक श्री चार्ल्स गोल्ड ने सोमवार को उत्तर दिल्ली में एनसीयूआई सभागार में 17वें वैकुंठ्भाई मेहता व्याख्यान के अवसर पर बोल रहे थे.
सहकारी इतिहास में निरंतरता है और इसकी प्रेरणा पीढ़ी से पीढ़ी और देश से देश होकर गुजरती है. मेहता के सहकारिता संबंधी विचार निश्चित रूप से भारत के दृष्टिकोण के साथ थे, गोल्ड ध्यान मग्न दर्शकों से बोले.
“मुझे आश्चर्य है कि श्री मेहता ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में कल्पना की थी कि भारतीय सहकारी आंदोलन घरेलू से वैश्विक स्तर तक पहुंच जाएगा. इफको दुनियां के शीर्ष 300 सहकारी समितियों में से एक है जो भारत में है, इस पर मैं हैरान हूं, श्री गोल्ड ने कहा. मंच पर मौजूद थे इफको के नव निर्वाचित अध्यक्ष श्री बलविन्दर नकिया जो ध्यान से उन्हें सुन रहे थे.
राष्ट्रीय और राज्य महासंघों से 400 से अधिक सहकारी प्रतिनिधियों ने व्याख्यान में भाग लिया.
एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी डा. दिनेश ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा.
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